नई दिल्लीः दुनिया में एक और नाटो जैसा संगठन बनने जा रहा है। आतंकवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए 25 से अधिक मुस्लिम देश नाटो की तर्ज पर एक संगठन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका नाम इस्लामिक नाटो या मुस्लिम नाटो हो सकता है। हालांकि इस संगठन के सदस्य देशों की […]
नई दिल्लीः दुनिया में एक और नाटो जैसा संगठन बनने जा रहा है। आतंकवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए 25 से अधिक मुस्लिम देश नाटो की तर्ज पर एक संगठन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका नाम इस्लामिक नाटो या मुस्लिम नाटो हो सकता है। हालांकि इस संगठन के सदस्य देशों की संख्या अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक इसमें एशिया और अफ्रीका के 25 देश शामिल हो सकते हैं। इस प्रस्तावित समूह के मुख्य सदस्य सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्की, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, बहरीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मलेशिया होंगे।
इस इस्लामिक नाटो का समर्थन करने वालों में कई देश भागीदार हैं। बताया जा रहा है कि इंडोनेशिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और लीबिया इस्लामिक नाटो के भागीदार बन सकते हैं। इसके अलावा अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ब्रुनेई ने सहयोगी सदस्य के तौर पर इसमें शामिल होने की इच्छा जताई है। जानकारी के अनुसार, नाटो जैसे संगठन के गठन के पीछे उद्देश्य यह है कि ये मुस्लिम देश मिलकर आतंकवाद विरोधी अभियान चलाएंगे। अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने में एक-दूसरे की मदद करेंगे। अपने सदस्य देशों की आंतरिक स्थिरता के लिए बाहरी समस्याओं से लड़ेंगे।
नाटो जैसे इस्लामिक नाटो के गठन से भारत पर पड़ने वाले असर को देखें तो भारत सरकार की चिंता बढ़ा सकती हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस्लामिक नाटो का गठन होता है तो कश्मीर विवाद बढ़ सकता है। यह समूह भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है। इस समूह के गठन से पाकिस्तान मजबूत होगा और सीमा पर सुरक्षा को लेकर दिक्कतें हो सकती हैं।
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