नई दिल्लीः तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने शुक्रवार को हिंदुत्व से लेकर बांग्लादेश तक देश के कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि हिंदू मंदिरों पर सरकारी कब्जे को हटाया जाना चाहिए। हिंदी को राष्ट्रभाषा और रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भारत […]
नई दिल्लीः तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने शुक्रवार को हिंदुत्व से लेकर बांग्लादेश तक देश के कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि हिंदू मंदिरों पर सरकारी कब्जे को हटाया जाना चाहिए। हिंदी को राष्ट्रभाषा और रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल किया जाना चाहिए।
हिंदू और मुस्लिम धर्म पर राजनीतिक दलों द्वारा दिए जा रहे बयानों पर रामभद्राचार्य ने कहा, यह गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि हिंदुत्व भारतीयता का पर्याय है। पता नहीं हम मुस्लिम पक्ष द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को क्यों बर्दाश्त कर पा रहे हैं। आपने अभी देखा कि दुर्गा पूजा के दौरान कितनी बड़ी आपदा आई। मेरी गवाही से राम जन्मभूमि मामले की दिशा बदली मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में रामभद्राचार्य ने कहा, जिस तरह मेरी गवाही से राम जन्मभूमि मामले की दिशा बदली, उसी तरह उस मामले की दिशा भी बदलेगी। अगर इस मामले में कोर्ट से बुलावा आएगा तो मैं गवाही देने जाऊंगा। हिंदू जितना सहिष्णु कोई नहीं हो सकता। हमारी सहनशीलता की अग्निपरीक्षा हो रही है।
तुलसी पीठ के पीठाधीश्वरने कहा, बांग्लादेश में क्या हुआ? दूसरे देशों में क्या हो रहा है? हमारे बंगाल में क्या हो रहा है? तब भी हम सहन कर रहे थे लेकिन अब नहीं करेंगे। रामभद्राचार्य बिजेथुआ महोत्सव में श्री राम कथा सुनाने आए हैं। प्राचीन बिजेथुआ महावीरन धाम कादीपुर कोतवाली के सूरापुर में है।
रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में यूपी के जौनपुर में हुआ था। आंखों से दुनिया नहीं देख पाने वाले रामभद्राचार्य ने 4 साल की उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था। 8 साल की उम्र में उन्होंने भागवत और राम कथा सुनाना शुरू कर दिया था। तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य को 22 भाषाओं का ज्ञान है। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया है।
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