आज मनाया जा रहा है अहोई अष्टमी व्रत, जानिए पूजा की सरल विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: आज, 24 अक्टूबर 2024 को अहोई अष्टमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए अहोई माता का व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। खासतौर पर यह व्रत संतान की सुख-शांति के लिए किया जाता है। अहोई अष्टमी को दीपावली […]

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आज मनाया जा रहा है अहोई अष्टमी व्रत, जानिए पूजा की सरल विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

Shweta Rajput

  • October 24, 2024 8:19 am Asia/KolkataIST, Updated 4 weeks ago

नई दिल्ली: आज, 24 अक्टूबर 2024 को अहोई अष्टमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए अहोई माता का व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। खासतौर पर यह व्रत संतान की सुख-शांति के लिए किया जाता है। अहोई अष्टमी को दीपावली से आठ दिन पहले मनाया जाता है और इस व्रत को करवा चौथ की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि

1. व्रत का संकल्प: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।

2. अहोई माता की पूजा: दिन में दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाएं या उसकी प्रतिमा स्थापित करें। अहोई माता के साथ स्याहु (साही) के चित्र को भी पूजा स्थल पर रखें।

3. धूप-दीप और प्रसाद: पूजा में जल, धूप, दीप, रोली, चावल, फल, और मिठाई का प्रयोग करें। गाय के गोबर से अहोई माता की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा भी की जा सकती है।

4. कहानी सुनना: पूजा के बाद अहोई अष्टमी की कथा सुनें। यह कथा अहोई माता की महिमा का बखान करती है, जो अपने भक्तों को संतान सुख और लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं।

5. तारों के दर्शन के बाद भोजन: सूर्यास्त के बाद, तारे दिखने पर अहोई माता की आरती करें और तारा दर्शन करके व्रत को पूरा करें। इसके बाद ही व्रतधारी जल और भोजन ग्रहण करते हैं।

अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त 2024

इस वर्ष अहोई अष्टमी की गोधूलि पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:39 बजे से लेकर 7:56 बजे तक रहेगा। इस अवधि में पूजा करने से विशेष लाभ होता है और माता अहोई का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

व्रत का महत्व

अहोई अष्टमी व्रत का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत बड़ा है। यह व्रत संतान के सुख और कल्याण के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अहोई माता की कृपा से संतान दीर्घायु, स्वस्थ और खुशहाल रहती है। व्रतधारी महिलाएं पूरे दिन निराहार रहती हैं और तारा दर्शन के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। अहोई माता की पूजा से संतान संबंधी कष्ट दूर होते हैं और उनके जीवन में उन्नति होती है। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है, विशेषकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में। अहोई अष्टमी का व्रत उन माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है जो अपनी संतान की सुरक्षा और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं।

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