कब रखा जाएगा रोहिणी व्रत? जानिए इसका महत्व शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली: रोहिणी व्रत जैन समुदाय में एक विशेष धार्मिक व्रत है। यह व्रत भगवान वासुपूज्य (24वें तीर्थंकर) की विशेष पूजा के लिए रखा जाता है और इसे महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए करती हैं। रोहिणी नक्षत्र के समय रखा जाने वाला यह व्रत बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना […]

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कब रखा जाएगा रोहिणी व्रत? जानिए इसका महत्व शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Shweta Rajput

  • October 22, 2024 2:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: रोहिणी व्रत जैन समुदाय में एक विशेष धार्मिक व्रत है। यह व्रत भगवान वासुपूज्य (24वें तीर्थंकर) की विशेष पूजा के लिए रखा जाता है और इसे महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए करती हैं। रोहिणी नक्षत्र के समय रखा जाने वाला यह व्रत बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को पति की लंबी उम्र का वरदान मिलता है और इसके साथ ही उनके जीवन में खुशियां आती हैं।

रोहिणी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार यह व्रत 23 अक्टूबर 2024 सोमवार को रखा जाएगा। इस दिन अभिजित मुहूर्त पूजा के करने के लिए सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहने वाला है। इस व्रत को लगातार 3,5 और 7 सालों तक करने का एक धार्मिक विधान है। . फिर इसके बाद रोहिणी व्रत का उद्यापन किया जाता है.

– शुभ मुहूर्त: रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत सुबह 6:15 बजे होगी और यह अगले दिन तक रहेगा। इस व्रत को सूर्योदय के समय शुरू करने और सूर्योदय के समय समाप्त करने का विशेष महत्व है।

रोहिणी व्रत का महत्व

रोहिणी व्रत का जैन धर्म में गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसे करने से परिवार में शांति, समृद्धि, और स्वास्थ्य बना रहता है। कहा जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा से करती हैं, उन्हें विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इस व्रत का पालन करने से घर में हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है और सुख-समृद्धि आती है।

रोहिणी व्रत की पूजा विधि

1. स्नान और शुद्धिकरण: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. भगवान वासुपूज्य की पूजा: भगवान वासुपूज्य की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाकर उनकी पूजा करें।
3. मंत्र जाप: व्रत के दौरान “ॐ वासुपूज्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
4. व्रत कथा का श्रवण: व्रत के दौरान रोहिणी व्रत की कथा को सुनें या पढ़ें। कथा सुनने से व्रत का पुण्य बढ़ता है।
5. व्रत का समापन: व्रत का समापन अगले दिन सूर्योदय के बाद फलाहार या सात्विक भोजन से करें।

रोहिणी व्रत से लाभ

– पारिवारिक खुशहाली और समृद्धि का आगमन होता है।
– रोगों से मुक्ति मिलती है और शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
– भगवान वासुपूज्य की कृपा से हर तरह की विपत्तियों से रक्षा होती है।

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