नई दिल्लीः शेख हसीना के जाते ही बांगलादेश की बर्बादी शुरू हो गई है। साम्प्रदायिक तनाव के बाद अब प्रकृति ने बांग्लादेश पर कहर बरपा दिया है। पड़ोसी देश के हाल इतने बुरे हैं कि वहां की जनता अब अन्न के एक-एक दाने को तरस रही है। भुखमरी से देश की जनता को बचाने के […]
नई दिल्लीः शेख हसीना के जाते ही बांगलादेश की बर्बादी शुरू हो गई है। साम्प्रदायिक तनाव के बाद अब प्रकृति ने बांग्लादेश पर कहर बरपा दिया है। पड़ोसी देश के हाल इतने बुरे हैं कि वहां की जनता अब अन्न के एक-एक दाने को तरस रही है। भुखमरी से देश की जनता को बचाने के लिए अब मोहम्मद यूनुस की सरकार भी लाचार नजर आ रही है।
अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर में भारी मानसूनी बारिश और ऊपरी क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश ने देश में तबाही मचा दी, जिससे कम से कम 75 लोगों की मौत हो गई और लाखों लोग प्रभावित हुए। बाढ़ ने करीब 11 लाख टन चावल बर्बाद कर दिया है। खाने- पीने के दाम अब आसमान छू रहे हैं। जनता चावल के एक-एक दाने के लिए तरसने लगी है। बांग्लादेश में बरसे कुदरत के कहर के बाद मोहम्मद यूनुस को अब भारत से उम्मीदें हैं। खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार 5 लाख टन चावल आयात करने के लिए तेजी से कदम उठा रही है। जल्द ही निजी क्षेत्र को भी आयात की अनुमति मिल सकती है।
बांगलादेश को चावल आयात बढ़ाने के लिए पड़ोसी देश भारत पर निर्भर रहना पड़ेगा। बांग्लादेश में सब्जियों के दाम भी बढ़ गए हैं। आई बाढ़ ने 2 लाख टन से ज्यादा सब्जियों समेत अन्य कृषि उत्पादों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। बाढ़ के कारण बांग्लादेश में कुल कृषि नुकसान करीब 45 अरब टका (380 मिलियन डॉलर) होने का अनुमान है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक बांग्लादेश आमतौर पर अपनी 17 करोड़ की आबादी को खिलाने के लिए हर साल करीब 40 मिलियन टन चावल का उत्पादन करता है। मगर प्रकृति ने उसे मदद के मांगने को मजबूर कर दिया है।
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