Advertisement
  • होम
  • अध्यात्म
  • कृष्ण ने महाभारत में क्यों नहीं की अभिमन्‍यु की रक्षा, जानें इसके पीछे का रहस्मयी कारण

कृष्ण ने महाभारत में क्यों नहीं की अभिमन्‍यु की रक्षा, जानें इसके पीछे का रहस्मयी कारण

नई दिल्ली: महाभारत की कथा में वीर योद्धाओं में बड़ा नाम अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु है. अभिमन्यु ने जन्म लेने से पहले चक्रव्यूह में प्रवेश करने का ज्ञान प्राप्त कर लिया था.वहीं बाहर आने का मार्ग न जान पाने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई.अधिकतर लोग इसे पूरा सच मानते हैं. परंतु अभिमन्यु की […]

Advertisement
कृष्ण ने महाभारत में क्यों नहीं की अभिमन्‍यु की रक्षा, जानें इसके पीछे का रहस्मयी कारण
  • October 17, 2024 5:16 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: महाभारत की कथा में वीर योद्धाओं में बड़ा नाम अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु है. अभिमन्यु ने जन्म लेने से पहले चक्रव्यूह में प्रवेश करने का ज्ञान प्राप्त कर लिया था.वहीं बाहर आने का मार्ग न जान पाने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई.अधिकतर लोग इसे पूरा सच मानते हैं. परंतु अभिमन्यु की मृत्यु के पीछे एक विशेष कारण था. जिसके वजह से भगवान कृष्ण ने अभिमन्यु के प्राणों की रक्षा नहीं की थी.

देवताओं ने लिए अवतार

महाभारत को धर्म युद्ध कहा जाता है. बता दें धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु हर युग में अवतार लेते हैं. वहीं उनकी सहायता के लिए देवतागण भी विभिन्न स्थानों पर जन्म लेते हैं, द्वापर युग में भगवान विष्णु ने भगवान श्रीकृष्ण का अवतार लिया तब ब्रह्मा जी के आदेश से देवताओं ने विभिन्न जगह जन्म लिया था. ताकि धर्म की स्थापना में वे भगवान श्री कृष्ण के सहायक बन सके.

अभिमन्यु थें देवता के रूप

 

महाभारत की कथा में अभिमन्यु वीर योद्धाओं में से एक थें. अभिमन्यु सभी के लिए प्रेरणा है. महाभारत में युद्ध के दौरान इस योद्धा ने अकेले पूरे दिन उन सभी योद्धाओं को रोक कर रखा था. जो अकेले कई सेना के बराबर थे. इसी वजह से वह युद्ध में लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए. भगवान कृष्ण ये सबकुछ खड़े होकर देखते रहे.बता दें कि ये सब एक उद्देश्य पूरा करने के लिए किया गया था.

जब धर्म की रक्षा के लिए देवताओं ने धरती पर अवतार लिया तब चंद्रमा के पुत्र वर्चा ने अभिमन्यु के रूप में जन्म लिया था. वर्चा को भेजते समय चंद्रमा ने देवताओं से कहा, मैं अपने प्राणों से प्यारे पुत्र को नहीं दे सकता लेकिन इस काम से पीछे हटना भी सही नहीं है. इसलिए वर्चा मनुष्य तो बनेगा मगर ज्यादे दिनों तक नहीं रहेगा. वह भगवान इंद्र के अंश का नरावतार होगा, जो भगवान कृष्ण से मित्रता करेगा अर्थात अर्जुन, मेरा पुत्र है. वर्चा अर्जुन का ही पुत्र होगा.

देवता हुए विवश

चंद्रमा मां ने अपने पुत्र के लिए देवताओं के सामने ये शर्त रखी थी. भगवान कृष्ण के सामने मेरा पुत्र चक्रव्यूह का भेदन करेगा और घमासान युद्ध करते हुए बड़े-बड़े महारथियों को चकित करेगा. मगर दिनभर युद्ध करने के पश्चात शाम में उसकी मृत्यु होगी और वह वापस मेरे पास लौट जाएगा. इसी वजह से वीर अभिमन्यु महाभारत के युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गये थे. भगवान कृष्ण चाहकर भी कुछ नहीं कर पाए थे.

ये भी पढ़े:

कौन है प्रभु श्रीराम की बहन, जानिए आज के समय में कहां होती है उनकी पूजा

Advertisement