कनाडा से भारत के कैसे बिगड़े रिश्ते? समझिए 5 पॉइंट में

नई दिल्ली: भारत और कनाडा के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं. भारत ने अपने उच्चायुक्त सहित कई अफसरों को वापस बुला लिया है. वहीं कनाडा ने भी अपने पांच राजनयिकों को 19 अक्टूबर तक देश छोड़ने को कहा है. अब सबसे बड़ा सवाल यहा है कि भारत और कनाडा के रिश्ते में […]

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कनाडा से भारत के कैसे बिगड़े रिश्ते? समझिए 5 पॉइंट में

Shikha Pandey

  • October 15, 2024 4:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: भारत और कनाडा के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं. भारत ने अपने उच्चायुक्त सहित कई अफसरों को वापस बुला लिया है. वहीं कनाडा ने भी अपने पांच राजनयिकों को 19 अक्टूबर तक देश छोड़ने को कहा है. अब सबसे बड़ा सवाल यहा है कि भारत और कनाडा के रिश्ते में खटास कब और कैसे आई?

ऑपरेशन ब्लू स्टार

भारत सरकार ने साल 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था. यह ऑपरेशन अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था. वहीं साल 1985 के जून महीने में दर्दनाक विमान हादसा हुआ. इस विमान हादसा में 329 जानें चली गईं. 23 जून को एयर इंडिया का एक विमान नई दिल्ली के लिए उड़ान भरा और करीब 45 मिनट बाद विमान में जोरदार धमाका हुआ और सब कुछ तहस-नहस हो गया. हादसे के वक्त विमान 31 फुट की ऊंचाई पर उड़ रहा था. आज के कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के पिता उस समय कनाडा के मुख्यमंत्री थे. वहीं भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. शुरुआती जांच में खालिस्तानी कनेक्शन पाया गया. कनाडा सरकार ने आज तक इस मामले में दोषियों को सजा दिलाने के क्रम में कोई कदम नहीं उठाया. वहीं कनाडा के वर्तमान पीएम खुद को मानवाधिकार के समर्थक कहते हैं. इसका मुख्य आरोपी आतंकी इंद्रजीत सिंह रेयात को माना गया. इसने उसी दौरान जापान में एयर इंडिया के एक और विमान को निशाने पर लिया. इसमें जापानी एयर सर्विसेज के दो लोडर को जान गंवानी पड़ी.

खालिस्तानियों को समर्थन और भारत पर आरोप लगाने की नीति

दोनों देशों के बीच पिछले साल हुए घटनाक्रम ने रिश्तों में खटास पैदा कर दी. खलिस्तान समर्थकों को कनाडा की घरती पर हर तरह की मदद मिलती है. यह जगजाहिर है. इस मामले में भारत सरकार कनाडा सरकार को समय-समय पर चेतावनी देती रही है. परंतु कनाडा सरकार ने खालिस्तानी समर्थकों को मदद पहुंचाते रही. खटास के बीच दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट बनी रही. इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब साल 2023 में 18 जून को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की अज्ञात नकाबपोश बंदूकधारियों ने हत्या कर दी. इस हत्या के लिए खालिस्तानी समर्थकों ने कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और महावाणिज्य दूत अपूर्व श्रीवास्तव को जिम्मेदार मानते हुए सड़कों पर पोस्टर चिपकाए. इसके बाद खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायुक्त के दफ्तरों पर धरना-प्रदर्शन करने लगे. जिसके बाद भारत सरकार हरकत में आई और अपने दूतावास एवं अफसरों की सुरक्षा के लिए कनाडाई सरकार से जरूरी कदम उठाने की अपील की.

भारत विरोधी बयान

 

निज्जर की हत्या के बाद खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय उच्चायुक्त और वाणिज्य दूतावास पर धरना-प्रदर्शन तेज कर दिया. जिसके बाद कनाडा के उच्चायुक्त को भारत सरकार ने तलब करके सभी गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग कर दी. ये वह समय था जब भारत में एक और आतंकी-खलिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई चल रही थी. इसी दौरान लगभग दो महीने बाद कनाडा में एक रैली हुई. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को प्रदर्शित करते हुए एक बैनर लगाया था. इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा सरकार को आगाह किया और इस तरह की सभी गतिविधियों पर रोक लगाने की बात की. भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने यहां तक कह दिया कि कनाडा की मौजूद सरकार ये सब कुछ वोटों के लिए कर रही है. इन सबका ट्रूडो सरकार पर कोई असर नहीं हुआ. अलबत्ता वह और आक्रामक हो गए. भारत विरोधी बयान देने से भी नहीं चूके.

पीएम ट्रूडो ने कनाडा सुरक्षित पहुंचने का ऑफर ठुकराया

पिछले साल भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में कनाडा के पीएम ट्रूडो हिस्सा लेने आए. तब भारतीय पीएम ने सार्वजनिक तौर पर और उनसे व्यक्तिगत मुलाकात में साफ कर दिया था. आतंकवाद की अब इस दुनिया में कोई जगह नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि संगठित अपराधों, ड्रग माफियाओं और मानव तस्करों के खिलाफ चल रही लड़ाई में कनाडा को भी भारत सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलकर चलना चाहिए. मगर कनाडाई पीएम पर कोई असर नहीं हुआ.

वीजा सेवाएं रद्द की

बीते साल सितंबर में ही कनाडा ने भारत के खिलाफ कदम उठाया .जिसमें भारत पर खालिस्तानी आतंकी की हत्या के लिए जिम्मेदार मानते हुए भारतीय इंटेलिजेंस के अफसर को वापस जाने का हुकूम सुना दिया. इसके वजह से रिश्ते में और खटास बढ़ी. उसके बाद भारतीय दूतावास ने कनाडा की वीजा सेवाएं सस्पेंड कर दी. जनवरी 2024 में फिर कनाडा ने भारत पर तीखे आरोप लगाया और इसे विदेशी खतरा बता दिया.

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