नई दिल्लीः महाभारत के हर पात्र का विशेष महत्व है। महाभारत की कथा में गांधारी और धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों की भी अद्भुत कहानी है। हम सभी जानते हैं कि पांचों पांडवों के पिता पांडु और माता कुंती हैं। 100 कौरव गांधारी और धृतराष्ट्र के पुत्र थे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गांधारी […]
नई दिल्लीः महाभारत के हर पात्र का विशेष महत्व है। महाभारत की कथा में गांधारी और धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों की भी अद्भुत कहानी है। हम सभी जानते हैं कि पांचों पांडवों के पिता पांडु और माता कुंती हैं। 100 कौरव गांधारी और धृतराष्ट्र के पुत्र थे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गांधारी ने 100 पुत्रों और 1 पुत्री को कैसे जन्म दिया? कौरव धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र थे और उनकी एक पुत्री दुशाला थी। कौरवों के जन्म की यह कहानी आपको हैरान कर देगी।
कथा के अनुसार एक बार ऋषि व्यास ने गांधारी की सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा। गांधारी ने उनसे 100 पुत्रों का वरदान मांगा। ऋषि व्यास ने गांधारी को आशीर्वाद दिया। इसके बाद गांधारी गर्भवती हुई, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हे कोई संतान नहीं हुई। तब गांधारी ने गर्भ गिरा दिया और उनके पेट से मांस का टुकड़ा निकला। इसके बाद ऋषि व्यास ने गांधारी से सौ घड़ों में घी भरने का प्रबंध करने को कहा। उन्होंने गांधारी से कहा कि वे मांस के टुकड़े को 101 टुकड़ों में काट कर घड़ों में डाल देंगे। गांधारी ने वैसा ही किया और दो वर्ष बाद घड़े खोलने के लिए तैयार हो गए। समय आने पर सबसे पहले उन घड़ों से दुर्योधन का जन्म हुआ और फिर गांधारी के अन्य पुत्रों और पुत्री दुशाला का जन्म हुआ।
कौरवों का जन्म की कथा विशेष महत्व है, जो महाभारत की घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कथा न केवल एक अनोखी घटना है, बल्कि यह भी बताती है कि एक ऋषि की कृपा से ऐसा अद्भुत परिणाम कैसे संभव हो सकता है।
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