नई दिल्लीः आज पूरे देश में दशहरा का त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है। बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। हर साल यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी […]
नई दिल्लीः आज पूरे देश में दशहरा का त्योहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है। बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। हर साल यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर होती है। इसलिए इस दिन लोग अपने घरों की छत पर खड़े होकर आसमान की ओर निहारते हुए नीलकंठ के दर्शन करते हैं ताकि जीवन में साल भर शुभ कार्यों का क्रम चलता रहे। आइए जानते हैं दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का धार्मिक महत्व क्या है।
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का महत्व भगवान राम की लंका पर विजय से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम लंकापति रावण का अंत करने जा रहे थे तो उससे पहले रामजी ने नीलकंठ पक्षी को देखा था। इसके बाद ही उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए नीलकंठ पक्षी को शुभ और विजय का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार दशहरे पर नीलकंठ पक्षी का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन इसका दर्शन बहुत दुर्लभ माना जाता है। दशहरे पर इस पक्षी के दर्शन मात्र से ही जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
धार्मिक शास्त्रों में नीलकंठ को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है। यह पक्षी भगवान शिव का स्वरूप और प्रतिनिधि बनकर धरती पर घूमता है। नीलकंठ पक्षी न केवल सौभाग्य लाता है बल्कि किसानों को भी इस पक्षी से काफी लाभ मिलता है। दरअसल नीलकंठ पक्षी किसानों की फसलों की देखभाल करता है, यह खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रक्षा करता है।
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