मुंबई: शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी किए गए बेदखली नोटिस पर फिलहाल रोक लगा दी है। बता दें यह मामला शिल्पा और राज की मुंबई और पुणे स्थित संपत्तियों के अटैचमेंट से जुड़ा […]
मुंबई: शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी किए गए बेदखली नोटिस पर फिलहाल रोक लगा दी है। बता दें यह मामला शिल्पा और राज की मुंबई और पुणे स्थित संपत्तियों के अटैचमेंट से जुड़ा है, जिसमें ईडी ने उन्हें घर खाली करने का निर्देश दिया था। अब अदालत ने कहा है कि ईडी तब तक इन नोटिसों को लागू नहीं करेगा जब तक कि कपल की अपील पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता।
शिल्पा और राज ने ईडी द्वारा उनके जुहू स्थित घर और पुणे के फॉर्महाउस को खाली करने के नोटिस के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ईडी ने उन्हें 10 दिनों के भीतर यह संपत्तियां खाली करने का निर्देश दिया था। वहीं इस नोटिस को कपल ने अवैध बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पीके चव्हाण की बेंच ने सुनवाई करते हुए शिल्पा और राज को राहत देते हुए स्टे के लिए आवेदन करने की अनुमति दी है।
इसके साथ ही शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा के वकील प्रशांत पाटिल ने इस मामले पर एक आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, कुछ फर्जी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा का क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े पोंजी घोटाले से संबंध है, जो पूरी तरह से गलत है। 2017 के पोंजी घोटाले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। पाटिल ने आगे बताया कि प्रवर्तन निदेशालय का मामला इस घोटाले से संबंधित नहीं है और शिल्पा और राज का इसमें कोई हाथ नहीं है।
एविक्शन नोटिस पर टिप्पणी करते हुए पाटिल ने कहा, ईडी द्वारा जारी किए गए बेदखली नोटिस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिससे मेरे मुवक्किलों को दिल्ली स्थित अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील करने का समय मिल गया है। उन्होंने यह भी कहा कि शिल्पा और राज जांच एजेंसी के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं। वहीं इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा है कि जब तक शिल्पा और राज की अपील पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक वह जारी किए गए बेदखली नोटिस पर अमल नहीं करेगा।
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