नई दिल्लीः देश में शारदीय नवरात्र की धूम है। माता के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है। हर मंदिर के साथ एक अद्भुत कथा और रहस्य जुड़ा हुआ है। ऐसा ही बिहार के कैमूर जिले में मां मुंडेश्वरी का मंदिर है। मां भवानी का यह मंदिर चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। आपको जानकर […]
नई दिल्लीः देश में शारदीय नवरात्र की धूम है। माता के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है। हर मंदिर के साथ एक अद्भुत कथा और रहस्य जुड़ा हुआ है। ऐसा ही बिहार के कैमूर जिले में मां मुंडेश्वरी का मंदिर है। मां भवानी का यह मंदिर चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां बकरे की बलि देने के बाद वह जिंदा हो जाता है। यहां बलि चढ़ाने का तरीका भी अनोखा है।
माता के इस मंदिर में बलि चढ़ाने के लिए किसी तलवार या चाकू का प्रयोग नही किया जाता। पुजारी के मुताबिक माता को बकरे की बलि चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन यहां कभी रक्तपात नहीं होता। दरअसल, देवी के सामने बलि का बकरा लाया जाता है और पुजारी मंत्र पढ़ते हुए बकरे पर चावल के दाने फेंकते हैं। इस अक्षत के फेंकते ही बकरा तुरंत अचेत होकर जमीन पर गिर जाता है और उसकी सांसे थम जाती हैं। इसके बाद बाकी पूजा प्रक्रिया पूरी की जाती है और फिर अंत में बकरे पर फिर से चावल डाले जाते हैं। इस बार चावल के प्रभाव से बकरा लड़खड़ाता हुआ उठ खड़ा होता है। बलि तो कुछ ही लोग देते हैं, लेकिन बलि की इस परंपरा को देखने के लिए यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
इस मंदिर और इस स्थान का वर्णन दुर्गा मार्कंडेय पुराण के सप्तशती खंड में मिलता है। इस महान ग्रंथ के अनुसार एक समय में यहां चंड और मुंड नाम के दो राक्षस रहा करते थे। इन राक्षसों के अत्याचार इतने बढ़ गए कि मां भवानी को यहां आना पड़ा। जब भवानी ने भैंसे पर सवार होकर चंड का वध किया तो मुंड पंवारा की पहाड़ी पर छिप गया। हालांकि, भवानी ने उसे खोजकर मार डाला। उसके बाद से मां उसी रूप में यहां विराजमान हैं। कहा जाता है कि मां की मूर्ति में इतनी शक्ति है कि कोई भी व्यक्ति ज्यादा देर तक मूर्ति पर अपनी नजर नहीं रख सकता।
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