चंडीगढ़. जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनावी नतीजों के बाद आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अति आत्मविश्वास ठीक नहीं होता. उन्होंने नाम तो किसी का नहीं लिया लेकिन माना जा रहा है कि उनका तंज कांग्रेस पर है. दोनों दलों में गठबंधन की बात चल रही थी जो परवान नहीं चढ़ सकी. नतीजे […]
चंडीगढ़. जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनावी नतीजों के बाद आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अति आत्मविश्वास ठीक नहीं होता. उन्होंने नाम तो किसी का नहीं लिया लेकिन माना जा रहा है कि उनका तंज कांग्रेस पर है. दोनों दलों में गठबंधन की बात चल रही थी जो परवान नहीं चढ़ सकी. नतीजे आये तो कांग्रेस औंधे मुंह गिरी जबकि आप हाथ मलते रह गई.
भाजपा 49-50 सीटें जीत रही है. 2014 के मोदी लहर में वह महज 47 सीटें जीत पाई थी जबकि कांग्रेस 37 पर सिमटती दिख रही है. सवाल है कि जिस कांग्रेस के पक्ष में हवा चल रही थी उससे क्या चूक हुई कि हरियाणा में इतना बड़ा उलटफेर हो गया. माना जा रहा है कि जाट बिरादरी पर कांग्रेस की निर्भरता और सब कुछ भूपेंद्र हुड्डा के हवाले करने से बात बिगड़ गई. हरियाणा में 33 फीसद जाट होने का दावा किया जाता है जबकि जानकार मानते हैं कि जाटों की संख्या 25 फीसद से ज्यादा नहीं है.
कांग्रेस को लगा कि एमएसपी को लेकर जो किसान आंदोलन हुआ उसमें बड़ी संख्या में जाटों ने शिरकत की थी लिहाजा टिकट बंटवारे में 89 में से 28 टिकट जाटों को दिये और पूरी कमान भूपेंद्र हुड्डा को सौंप दी. बताते हैं कि हुड्डा के कहने पर 72 टिकट दिये गये. भाजपा ने भी 16 टिकट जाटों को दिये लेकिन उसने पिछड़े और दलितों के साथ साथ ब्राह्मणों का भी ध्यान रखा और सभी वर्गों को टिकट दिया.
पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से लोगों में नाराजगी थी लिहाजा उनसे दूरी बनाई और सीएम नायब सिंह सैनी को आगे कर दिया. कांग्रेस की तरफ से जो आक्रमकता दिखाई गई उस पर मौन रही और मुकाबले को जाट बनाम गैर जाट होने दिया. भाजपा यह भांप गई थी कि उसे जाट वोट नहीं मिलेंगे लिहाजा यह संदेश जाने दिया कि वही गैर जाट को जाटों के उत्पात से बचा सकती है.
उधर भूपेंद्र हुड्डा की ज्यादा पूछ से कुमारी शैलता खफा हुई तो संदेश गया कि कांग्रेस में सिर्फ जाटों की पूछ है, दलितों की नहीं. नतीजा यह हुआ कि जब नतीजे आये तो कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत जाट वोट बैंक और जाट नेता भूपेंद्र हुड्डा उसके लिए सबसे बड़ी कमजोरी बन गये.
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