नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को हिंदू समाज की एकता के लिए बड़ा बयान दिया। उन्होंने हिंदूओ से एकजुट होकर आपस में मतभेद और विवाद खत्म करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा “हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद खत्म करके अपनी सुरक्षा के […]
नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को हिंदू समाज की एकता के लिए बड़ा बयान दिया। उन्होंने हिंदूओ से एकजुट होकर आपस में मतभेद और विवाद खत्म करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा “हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद खत्म करके अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा। समाज ऐसा होना चाहिए जिसमें एकता, सद्भावना और जुड़ाव की भावना हो।” उन्होंने कहा कि समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्योन्मुख होने का गुण जरूरी है। उन्होंने कहा, “समाज सिर्फ मैं और मेरा परिवार नहीं बनता, बल्कि हमें समाज के प्रति सर्वांगीण चिंता के माध्यम से अपने जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना है।”
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम यांत्रिक नहीं है, बल्कि विचारों पर आधारित है। उन्होंने कहा, ” संघ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। संघ से समूह नेता, समूह नेता से स्वयंसेवक और स्वयंसेवक से परिवार में संस्कार जाते हैं। परिवार से समाज बनता है। संघ में व्यक्ति के विकास की यही पद्धति अपनाई गई है।”
मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा देश की मजबूती के कारण है। ”भारत एक हिंदू राष्ट्र है। हम प्राचीन काल से यहां रह रहे हैं, हालांकि हिंदू नाम बाद में आया। यहां रहने वाले भारत के सभी संप्रदायों के लिए हिंदू शब्द का इस्तेमाल किया गया। हिंदू सभी को अपना मानते हैं और सभी को स्वीकार करते हैं। हिंदू कहता है कि हम सही हैं और आप भी अपनी जगह सही हैं – एक-दूसरे से लगातार संवाद करते हुए सद्भाव से रहें। समाज में व्याप्त कमियों को दूर करने और समाज को मजबूत करने का प्रयास किया जाना चाहिए। समाज में सामाजिक समरसता, सामाजिक न्याय, सामाजिक स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता का आह्वान किया जाना चाहिए।”
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