शिमला के संजौली इलाके में एक अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को गिराने
नई दिल्ली: शिमला के संजौली इलाके में एक अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को गिराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि मस्जिद के प्रधान की देखरेख में यह काम दो महीने के भीतर पूरा किया जाए। इस फैसले से इलाके में चल रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।
संजौली इलाके में 2009 में एक छोटी पुरानी मस्जिद की जगह पर एक नई मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ। बिना किसी कानूनी मंजूरी के इस मस्जिद को 5 मंजिल तक बना दिया गया। 2010 में इस निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हो गया, लेकिन 2012 में वक्फ बोर्ड ने इस निर्माण को मंजूरी दी। इसके बावजूद नगर निगम की आपत्तियों के बाद भी 2018 तक बिना किसी वैध मंजूरी के यह मस्जिद 5 मंजिल तक बन चुकी थी।
शिमला में किसी भी इमारत को साढ़े तीन मंजिल से ज्यादा बनाने पर सख्त प्रतिबंध है। स्थानीय लोगों का सवाल यह है कि जब यह नियम लागू है तो संजौली में 5 मंजिल की मस्जिद कैसे बन गई? और अब जब यह मस्जिद गैर-कानूनी घोषित हो चुकी है, तो सरकार इस पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं कर रही?
शिमला वक्फ बोर्ड ने भी माना है कि संजौली की इस मस्जिद की दो मंजिलें अवैध तरीके से बनाई गई हैं। यह मामला काफी समय से नगर निगम के कोर्ट में चल रहा था। वक्फ बोर्ड ने इस मस्जिद को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है और अवैध कब्जे को भी हटाया गया है। बाहरी राज्य से आए कुछ लोगों ने इस पर कब्जा किया हुआ था, जिन्हें अब हटा दिया गया है। साथ ही, बाहरी लोगों के यहां रहने पर भी रोक लगा दी गई है।
शिमला की संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण पर कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना होगा कि मस्जिद की तीन अवैध मंजिलें गिराने का काम समय पर पूरा हो पाता है या नहीं। साथ ही, शिमला जैसे संवेदनशील इलाके में कानून का पालन कैसे सुनिश्चित किया जाएगा, यह भी भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती है।
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