नई दिल्ली : हिजबुल्लाह कमांडर हसन नसरल्लाह का प्रभाव सिर्फ़ लेबनान में ही नहीं है। जिन देशों में शिया लोगों की आबादी ज़्यादा है, वहां भी हसन नसरल्लाह की मौत पर मातम मनाया जा रहा है। इराक में भी नसरल्लाह की मौत को लेकर लोग काफ़ी नाराज़ हैं। हाल ही में यहां पैदा हुए 100 […]
नई दिल्ली : हिजबुल्लाह कमांडर हसन नसरल्लाह का प्रभाव सिर्फ़ लेबनान में ही नहीं है। जिन देशों में शिया लोगों की आबादी ज़्यादा है, वहां भी हसन नसरल्लाह की मौत पर मातम मनाया जा रहा है। इराक में भी नसरल्लाह की मौत को लेकर लोग काफ़ी नाराज़ हैं। हाल ही में यहां पैदा हुए 100 से ज़्यादा बच्चों का नाम नसरल्लाह रखा गया है। ये नाम हिजबुल्लाह नेता को श्रद्धांजलि के तौर पर रखा गया हैं। बच्चों के नाम रखने से पता चलता है कि आम लोगों पर उनका प्रभाव बहुत अधिक था।
लोग नसरल्लाह को इजरायल के खिलाफ दुश्मन का प्रतीक मानते हैं। इराक ने नसरुल्लाह को ‘शहीद’ का दर्जा दिया है. नसरल्लाह के हत्या के बाद वहां बड़े प्रमाण में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं। इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश भर में लगभग 100 शिशुओं को “नसरल्लाह ” नाम से रजिस्ट्रेशन किया गया है। लेबनान के बेरूत में इजरायली हवाई हमले में हिजबुल्लाह नेता हसन नसरुल्लाह की मौत के बाद से इराक में नवजात शिशुओं के नाम रखने का चलन शुरू हो गया है।
नसरल्लाह 30 साल से अधिक समय तक हिजबुल्लाह का कमांडर बना रहा। उसकी हत्या से पूरे देश में गुस्सा भड़क गया है, जिसके कारण बगदाद और अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने इजरायल की कार्रवाई की कड़ी निंदा की और हत्या को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने नसरुल्लाह को शहीद बताया है।
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