नई दिल्ली: एक ओर जहां पीएम मोदी मेड इन इंडिया पर जोर दे रहे हैं तो दुसरी ओर भारतीय चाइना प्रोडक्ट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार है, जिसपर चीन का कब्जा है। देश के हर घर में चीनी उत्पाद पहुंच चुके हैं और इससे […]
नई दिल्ली: एक ओर जहां पीएम मोदी मेड इन इंडिया पर जोर दे रहे हैं तो दुसरी ओर भारतीय चाइना प्रोडक्ट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का बहुत बड़ा बाजार है, जिसपर चीन का कब्जा है। देश के हर घर में चीनी उत्पाद पहुंच चुके हैं और इससे खतरा भी बढ़ा है।
दरअसल, लोकल सर्किल नाम की एक कंपनी का सर्वे सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि सर्वे में शामिल 79 फीसदी भारतीय परिवारों के पास एक या उससे ज्यादा मेड इन चाइना उत्पाद हैं। इन पर निगरानी का खतरा है। वहीं, 37 फीसदी इन उत्पादों से जुड़े ऐप इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे डेटा एक्सपोज़र का खतरा बढ़ गया है।
अगर इस सर्वे की मानें तो 25 फीसदी घरों में एक या दो मेड इन चाइना गैजेट हैं। सर्वे में शामिल 54 फीसदी घरों में 3 से ज्यादा मेड इन चाइना डिवाइस हैं। डिवाइस से जुड़े कई चीनी ऐप स्टोरेज और प्रोसेसिंग के लिए यूजर का डेटा जैसे वीडियो, फोटो चीन भेज रहे हैं। इससे भारतीयों को परेशानी हो रही है। भारत को तत्काल एप्पल ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि कोई भी डेटा चीन न जाए।
लोकल सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान में पेजर के विस्फोट के बाद मीडिया रिपोर्ट्स से संकेत मिल रहे हैं कि भारत जल्द ही सीसीटीवी कैमरे, स्मार्ट मीटर, पार्किंग सेंसर, ड्रोन पार्ट्स और यहां तक कि लैपटॉप और डेस्कटॉप को केवल विश्वसनीय जगहों से खरीदने के अपने आदेश को लागू कर सकता है। इस साल की शुरुआत में मार्च और अप्रैल में सरकार ने दो अलग-अलग गजट नोटिफिकेशन जारी किए थे। एक सर्विलांस कैमरों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ दिशा-निर्देशों से संबंधित था और दूसरा सीसीटीवी प्रमाणन के मानदंडों पर था।
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