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बेंगलुरु में ‘शर्मा परिवार’ निकला ‘मोहम्मद अली’, दीवार पर लगी मौलवियों की तस्वीरें, ऐसे खुला राज

नई दिल्ली: कर्नाटक के बेंगलुरु से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. रविवार को पुलिस ने शर्मा परिवार की पहचान बताकर रह रहे चार पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया. पुलिस के मुताबिक, यह परिवार 2018 से भारत में रह रहा है. पुलिस ने खुफिया अधिकारियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर यह […]

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बेंगलुरु में ‘शर्मा परिवार’ निकला ‘मोहम्मद अली’, दीवार पर लगी मौलवियों की तस्वीरें, ऐसे खुला राज
  • October 1, 2024 11:19 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: कर्नाटक के बेंगलुरु से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. रविवार को पुलिस ने शर्मा परिवार की पहचान बताकर रह रहे चार पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया. पुलिस के मुताबिक, यह परिवार 2018 से भारत में रह रहा है. पुलिस ने खुफिया अधिकारियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की है.

घरों में थे मौलवियों के फोटो

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पाकिस्तानी नागरिक की पत्नी बांग्लादेश की है और वे पहले ढाका में रहते थे. बीते रविवार को जब पुलिस ने घर पर छापा मारा तो परिवार सामान पैक करने में व्यस्त था. पूछताछ के दौरान सिद्दीकी ने खुद को शर्मा बताया और कहा कि वह 2018 से बेंगलुरु में रह रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार पाकिस्तानी नागरिक 48 वर्षीय राशिद अली सिद्दीकी, 38 वर्षीय आयशा, महिला की पत्नी हैं. माता-पिता 78 वर्षीय हनीफ मोहम्मद और 61 वर्षीय रूबीना गांव में रहते थे. पुलिस ने आगे बताया कि ये सभी परिवार आशा रानी, ​​शंकर शर्मा, रामबाबू शर्मा और रानी शर्मा के नाम से रह रहे थे. जांच के दौरान इन चरों लोगों के आधार कार्ड और पासपोर्ट भी पुलिस को दिखाए गए. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को घर में दीवार पर मक्का-मदीना और मेहंदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न-ए-यूनुस लिखा हुआ मिला. इसके अलावा घर में कुछ मौलवियों की तस्वीरें भी थीं.

ऐसे पहुंचा इंडिया

सिद्दीकी ने बताया कि पाकिस्तान में उत्पीड़न के बाद उन्हें बांग्लादेश जाना पड़ा. जब सिद्दीकी बांग्लादेश चले गए, तो वह वहां प्रचारक थे. साल 2014 में सिद्दीकी को बांग्लादेश में निशाना बनाया जाने लगा. इसके बाद उन्होंने परवेज नाम के मेहंदी फाउंडेशन से संपर्क किया और भारत आकर रहने लगे. सिद्दीकी ने पुलिस को बताया कि वह पश्चिम बंगाल के मालदा के रास्ते भारत पहुंचा था. भारत आने के बाद वह कुछ दिनों तक दिल्ली में रहे, जिसके बाद वह बेंगलुरु में रहने लगे. सिद्दीकी भारत में रहकर तेल सप्लाई और खाने का सामान बेचने का काम करते थे.

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