नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर सालों से मतभेद चल रहा है। इसमें टेंशन और बढ़ गई है क्योंकि भारत ने अरुणाचल प्रदेश की एक चोटी को भारतीय नाम दिया है। चोटी का नाम छठे दलाई लामा त्यांगयांग के नाम पर रखा गया है। भारत के इस फैसले से चीन […]
नई दिल्लीः भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर सालों से मतभेद चल रहा है। इसमें टेंशन और बढ़ गई है क्योंकि भारत ने अरुणाचल प्रदेश की एक चोटी को भारतीय नाम दिया है। चोटी का नाम छठे दलाई लामा त्यांगयांग के नाम पर रखा गया है। भारत के इस फैसले से चीन बौखला गया है। इसी को लेकर गुरुवार को चीन ने चोटी का नामकरण करने पर नाराजगी जताई। चीन ने अरुणाचल प्रदेश को फिर से अपने क्षेत्र जांगनान का हिस्सा बताया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान से इस मामले पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “आपने जो कहा, उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। मैं मोटे तौर पर यह कहना चाहता हूं कि जांगनान का इलाका चीनी क्षेत्र है और भारत द्वारा चीनी क्षेत्र में तथाकथित अरुणाचल प्रदेश की स्थापना करना अवैध और अमान्य है।
आपको बता दें चीन और भारत के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर कई सालों से विवाद चल रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है। भारत ने हमेशा चीन के इन दावों को खारिज किया है और अरुणाचल प्रदेश को देश का अभिन्न अंग बताया है।
राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं साहसिक खेल संस्थान (NIMS) की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश की 20,942 फीट ऊंची अनाम चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। इस पर अब तक कोई नहीं चढ़ पाया था। इसके बाद टीम ने इस चोटी का नाम छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला किया है।
NIMS रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करता है और अरुणाचल प्रदेश के दिरांग में स्थित है। चोटी के नामकरण के बारे में रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि छठे दलाई लामा के नाम पर चोटी का नामकरण उनकी बुद्धिमत्ता और उनके योगदान के प्रति श्रद्धांजलि है। छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म 1682 में मोन तवांग क्षेत्र में हुआ था।
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