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इन देशों में हर काम से पहले महिलाओं को लेनी होती है पति से इजाजत, ऐसा क्यों ?

नई दिल्ली: दुनिया भर में महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रही हैं और नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। वहीं अभी भी कुछ ऐसे देश हैं, जहां महिलाओं को अपने काम और करियर से जुड़े फैसले लेने के लिए अपने पति की अनुमति लेनी पड़ती है। इन देशों में महिलाओं को स्वतंत्र […]

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इन देशों में हर काम से पहले महिलाओं को लेनी होती है पति से इजाजत, ऐसा क्यों ?
  • September 25, 2024 5:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: दुनिया भर में महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रही हैं और नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। वहीं अभी भी कुछ ऐसे देश हैं, जहां महिलाओं को अपने काम और करियर से जुड़े फैसले लेने के लिए अपने पति की अनुमति लेनी पड़ती है। इन देशों में महिलाओं को स्वतंत्र रूप से काम करने की आजादी नहीं है, जिससे उनके अधिकारों और स्वतंत्रता पर अंकुश लगा हुआ है।

दुनिया में ऐसे 18 देश

एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 ऐसे देश हैं जहां महिलाएं काम करने के लिए अपने पति से अनुमति लेने के लिए बाध्य हैं। इन देशों में अफ्रीका और एशिया के कई हिस्से शामिल हैं। इस लिस्ट में बेहरीन, बोलीविया, कैमरून, चैड, कांगो, गैबोन, गिनी, ईरान, जॉर्डन, कुवैत, मॉरिटानिया, नाइजर, कतर, सूडान, सीरिया, संयुक्त अरब अमीरात, वेस्ट बैंक, गाजा और यमन जैसे देश शामिल हैं. यहां महिलाएं स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकतीं।

सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं

कई देशों में ऐसी सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं हैं जो महिलाओं को घर के कामों तक सीमित रखती हैं। इन्हें समाज में पुरुषों की तुलना में कम माना जाता है। कुछ परंपराओं और धर्मों में महिलाओं के लिए ऐसी व्याख्याएं की जाती हैं जिनके अनुसार उन्हें पुरुषों के अधीन रहना चाहिए। इसके अलावा कई देशों में ऐसे कानूनी ढांचे मौजूद हैं जो महिलाओं के अधिकारों को सीमित करते हैं। ये कानून पुरानी परंपराओं और विचारधाराओं पर आधारित होते हैं, जो महिलाओं की स्वतंत्रता और उनको काम करने से रोक सकते हैं।

देश के विकास में बाधा

इन देशों में महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने से रोकने के कारण सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा आती है। जब महिलाएं काम नहीं करती हैं, तो समाज का आधा हिस्सा विकास से वंचित रह जाता है, जो कि देश की प्रगति के लिए हानिकारक है। यह नियम लैंगिक समानता के सिद्धांत के भी खिलाफ है। हालांकि, हाल के वर्षों में कई देशों ने महिलाओं के अधिकारों को बढ़ाने के लिए नए कानून बनाए गए हैं। इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका भी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और विस्तार के लिए अहम रही है। इन सबके बावजूद महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई क्षेत्रों में सुधार की जरूरत हैं।

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