नई दिल्ली: लक्ष्मण, राम के छोटे भाई, युद्ध के मैदान में रावण के पास पहुंचे। रावण, जो अपनी अंतिम सांसें गिन रहा था, ने लक्ष्मण से कहा, “मेरी बातें सुनो, आज मैं तुम्हें कुछ महत्वपूर्ण ज्ञान देना चाहता हूँ।” युद्ध के शोर में, रावण ने अपनी हार के बावजूद एक गहरी शांति महसूस की।
1. अहंकार का पाठ
रावण ने सबसे पहले कहा, “अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। मैंने अपनी शक्ति और ज्ञान का दुरुपयोग किया और यही मेरे विनाश का कारण बना। याद रखो, जो व्यक्ति अहंकारी होता है, वह अंततः खुद को ही नष्ट कर लेता है।”
2. समय का महत्व
फिर रावण ने कहा, “किसी भी अच्छे कार्य को करने में देरी मत करो। समय का सदुपयोग करना बहुत जरूरी है। मैंने अवसरों को गंवाया और इसका खामियाजा भुगता। हमेशा समय की कदर करना।”
3. स्त्री का सम्मान
उसने एक गहरी सांस ली और आगे कहा, “मैं जानता हूँ कि मैंने माता सीता का अपहरण किया, लेकिन इसके दुष्परिणाम बहुत भयानक थे। मैं तुमसे यही कहता हूँ कि किसी पराई स्त्री पर बुरी नजर मत डालो। यह तुम्हारे और समाज के लिए ठीक नहीं है।”
4. गोपनीयता का महत्व
आखिर में, रावण ने कहा, “अपने राज किसी से साझा मत करो। मैंने बहुत से लोगों को अपने राज बता दिए थे, और यही मेरी गलती थी। गोपनीयता में सुरक्षा होती है।”
लक्ष्मण ने रावण की बातें ध्यान से सुनीं, उसकी आँखों में आँसू थे। उसने देखा कि एक शक्तिशाली राक्षस अपने जीवन के अंत में ज्ञान और सीख के साथ विदा हो रहा था। रावण ने कहा, “याद रखो, लक्ष्मण, ज्ञान का कोई समय नहीं होता। चाहे तुम कितने भी महान क्यों न हो, सच्चाई हमेशा महत्वपूर्ण होती है।”
इस प्रकार, रावण ने अपने अंतिम क्षणों में लक्ष्मण को जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं, जो सदियों तक सुनाई जाएंगी। रावण का ज्ञान, उसकी गलतियों से उपजी थी, और यह संदेश हमेशा जीवित रहेगा।
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