उत्तरप्रदेश के एक गांव के बच्चे पिछले सात दिनों से भूख और ठंड की ठिठुरन से हलकान हैं. इस गांव की महिलाएं और बुजुर्ग भी कड़कड़ाती सर्दी में खेतों के बीच खुले में दिन और रात गुजार रहे हैं.
नई दिल्ली. उत्तरप्रदेश के एक गांव के बच्चे पिछले सात दिनों से भूख और ठंड की ठिठुरन से हलकान हैं. इस गांव की महिलाएं और बुजुर्ग भी कड़कड़ाती सर्दी में खेतों के बीच खुले में दिन और रात गुजार रहे हैं.
इलाके के दारोगा और उनके मातहत पुलिसवाले इस गांव के साथ बदला ले रहे हैं. बदला, दारोगा साहब से बदतमीजी का, ये और बात है कि बदतमीजी करने वाले लोग पहले ही सलाखों के पीछे हैं,
उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार की खाकी का रुआब ऐसा है कि बदला अभी तक पूरा नहीं हुआ है. लिहाजा पूरा का गांव ही खदेड़ दिया गया है. या यूं कहें कि पुलिस के तांडव से अपनी जान बचाने के लिए गांव के लोग भरी सर्दी में अपने घरों को छोड़कर खेतों में छिपे बैठे हैं.
अब सवाल उठता है कि ये कैसी पुलिस है ? ये कैसी सरकार है ? जो जनता को जानवरों से भी बदतर समझती है. आज इन्हीं सवालों पर होगी बीच बहस
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