नई दिल्ली। बांगलादेश में सियासी उलट-फेर के बाद हालात इतने बिगड़ गए है कि मोहम्मद यूनुस की सरकार उसे संभालने में नाकाम साबित हो रही है। बांग्लादेश में अराजकता रोकने के लिए एक बार फिर सेना की ताकत को बढ़ा दिया गया है। यूनुस सरकार ने सेना को कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां दे दी हैं। […]
नई दिल्ली। बांगलादेश में सियासी उलट-फेर के बाद हालात इतने बिगड़ गए है कि मोहम्मद यूनुस की सरकार उसे संभालने में नाकाम साबित हो रही है। बांग्लादेश में अराजकता रोकने के लिए एक बार फिर सेना की ताकत को बढ़ा दिया गया है। यूनुस सरकार ने सेना को कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां दे दी हैं। बांग्लादेश के लोक प्रशासन मंत्रालय ने इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को एक गजट अधिसूचना जारी की। इस गजट के अनुसार सेना के अधिकारी अगले 60 दिनों तक पूरे बांग्लादेश में जिला मजिस्ट्रेट की निगरानी में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में काम कर सकेंगे।
अंतरिम सरकार के कानून सलाहकार आसिफ नजरुल ने बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट डेली स्टार को बताया कि मजिस्ट्रेट की शक्ति मिलने के बाद सेना के अधिकारियों को लोगों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने का अधिकार होगा। आत्मरक्षा में और अधिक आवश्यकता होने पर सैन्य अधिकारी गोली भी चला सकते हैं। सरकारी सलाहकार ने इस फैसले का कारण बताते हुए कहा कि कई जगहों पर स्थिति विनाशकारी है। इन स्थितियों के बीच सेना को मजिस्ट्रेट की शक्ति दी गई है।
एक अन्य सलाहकार ने बताया कि पुलिस ठीक से काम नहीं कर पा रही थी। पुलिस पर बड़ी संख्या में हमले किए गए। अराजक तत्वों ने पुलिस वाहनों और कई पुलिस थानों में आग लगा दी। पुलिसकर्मियों को अपनी वर्दी उतारकर छिपना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, कुल 664 पुलिस थानों में से 450 थानों पर हमला किया गया।
अंतरिम सरकार के सलाहकार ने माना कि यह स्थिति असामान्य है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब सेना को सरकार की तरफ से इस तरह की शक्ति दी गई है।
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