मुस्लिम महिलाएं सिन्दूर, बिंदी और मंगलसूत्र क्यों नहीं पहन सकतीं? जानें क्या कहता है इस्लाम

नई दिल्ली: मुस्लिम महिलाएं बिंदी और सिन्दूर मंगलसूत्र क्यों नहीं पहन सकती है. लोगों के मन में ऐसे सवाल कई बार उठते हैं. आप सभी जानते ही होंगे कि लड़की की मांग में सिन्दूर उसका दूल्हा लगाता है. लेकिन इस्लाम धर्म में ऐसा नहीं होता है. आइए आगे जानते हैं इसके पीछे का कारण, क्या […]

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मुस्लिम महिलाएं सिन्दूर, बिंदी और मंगलसूत्र क्यों नहीं पहन सकतीं? जानें क्या कहता है इस्लाम

Aprajita Anand

  • September 13, 2024 10:19 am Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: मुस्लिम महिलाएं बिंदी और सिन्दूर मंगलसूत्र क्यों नहीं पहन सकती है. लोगों के मन में ऐसे सवाल कई बार उठते हैं. आप सभी जानते ही होंगे कि लड़की की मांग में सिन्दूर उसका दूल्हा लगाता है. लेकिन इस्लाम धर्म में ऐसा नहीं होता है. आइए आगे जानते हैं इसके पीछे का कारण, क्या कहता है इस्लाम?

जानें मुस्लिम महिलाएं क्यों नहीं करती श्रृंगार?

मीडिया के द्वारा कुछ विद्वानों से पता लगाया है कि इस्लाम धर्म में आभूषण और कपड़े पहनने के अलग-अलग नियम और परंपराएं हैं. मुस्लिम महिलाएं आम तौर पर ऐसे आभूषण और कपड़े पहनती हैं जो इस्लामी शरिया के अनुसार उचित और स्वीकार्य हों. सिन्दूर, बिंदी और मंगलसूत्र जैसे प्रतीक हिंदू धर्म की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक परंपराओं से जुड़े हैं, इसलिए मुस्लिम महिलाएं इन्हें पहनने से बचती हैं. इस्लाम में महिलाओं को उनके धार्मिक और सांस्कृतिक को ध्यान में रखते हुए विशिष्ट प्रकार के कपड़े और आभूषण पहनने के निर्देश हैं. मुस्लिम महिलाएं शरिया के अनुसार आभूषण पहनती हैं. इस्लामिक परंपराओं के मुताबिक ये परिधान और आभूषण धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़े होते हैं.

क्या कहता है इस्लाम?

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा था कि शरिया महिलाओं को दूसरे धर्मों के प्रतीक चिन्ह पहनने की इजाजत नहीं देता. मौलवी ने कहा कि जो महिलाएं ऐसी प्रथाओं का पालन करती हैं वे वास्तव में इस्लामी मान्यताओं का पालन नहीं करती हैं और उन्हें बहिष्कृत किया जा सकता है. मौलवी ने कहा, सोशल मीडिया पर देखा जा रहा है कि मुस्लिम युवा अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर ‘तिलक’ लगाते हैं और हिंदू नाम अपना लेते हैं. यह शरीयत के खिलाफ है और गैरकानूनी है. मौलाना ने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी गैर-मुस्लिम से तब तक शादी नहीं करनी चाहिए जब तक वह इस्लाम कबूल न कर लें.

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