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राक्षसी के साथ भीम ने क्यों बनाया था संबंध? रोचक है महाभारत की यह कहानी

Mahabharat: पौराणिक में लड़ा गया सबसे बड़ा महायुद्ध महाभारत को माना जाता है। महाभारत काल के कई ऐसे रहस्य है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसे ही एक कहानी है भीम की एक राक्षसी के साथ विवाह की। कथा के अनुसार पांचों पांडव लक्षागृह से बचने के बाद जंगल में सो रहे […]

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राक्षसी के साथ भीम ने क्यों बनाया था संबंध? रोचक है महाभारत की यह कहानी
  • September 12, 2024 9:17 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

Mahabharat: पौराणिक में लड़ा गया सबसे बड़ा महायुद्ध महाभारत को माना जाता है। महाभारत काल के कई ऐसे रहस्य है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसे ही एक कहानी है भीम की एक राक्षसी के साथ विवाह की। कथा के अनुसार पांचों पांडव लक्षागृह से बचने के बाद जंगल में सो रहे थे। भीम उस समय पहरा दे रहे थे। जिस जंगल में पांचों पांडव थे वो राक्षसराज हिडिम्ब का था। हिडिम्ब एक नरभक्षी था। उसकी पुत्री का नाम हिडिम्बा था। हिडिम्बा जंगल में मनुष्य का शिकार करती थी।

भीम और हिडिम्ब का युद्ध

ऐसे ही वो एक दिन जंगल में गई तो भीम को पहरा देते हुए देखा। भीम को देखते ही हिडिम्बा अपने पर से नियंत्रण खो बैठी और विवाह के बारे में सोचने लगी। उसने भेष बदलकर भीम से प्रेम का इजहार किया। तभी वहाँ पर हिडिम्ब आ गया। हिडिम्ब ने भीम पर आक्रमण कर दिया। भीम और हिडिम्ब के बीच भयानक युद्ध हुआ जिसमें वह राक्षस मारा गया। हिडिम्ब के मरने पर कुंती अपने पुत्रों के साथ वहाँ से जाने की तैयारी करने लगी।

हिडिम्बा ने रखा शादी का प्रस्ताव

हिडिम्बा तभी माता कुंती के चरणों में गिर जाती हैं और प्रार्थना करने लगती है कि हे देवी मैंने आपके पुत्र भीम को अपना पति मान लिया है। आप मुझे स्वीकार कर लें अन्यथा मैं अपने प्राणों को त्याग दूंगी। यह सुनकर कुंती ने हिडिम्बा से कहा कि मैं अपने पुत्र को तुम्हारे पास हमेशा नहीं रहने दे सकती। इस पर हिडम्बा ने कहा कि जब उसे भीम से पुत्र की प्राप्ति हो जाएगी तो वहाँ से चला जायेगा। इसके बाद माता कुंती ने दोनों को साथ रहने का निर्देश दे दिया।

घटोत्कच का हुआ जन्म

माता की आज्ञा मानकर भीम ने राक्षसी हिडम्बा से शादी की और उसके साथ संबंध बनाये। एक वर्ष बाद हिडिम्बा ने घटोत्कच नाम के पुत्र को जन्म दिया। घटोत्कच मायावी था, जन्म लेते ही वह बड़ा हो गया। हिडिम्बा ने अपने पुत्र घटोत्कच को माता कुंती और पांडवों के पास भेजा। कुंती ने कहा कि घटोत्कच हमारा बड़ा पौत्र है, समय आने पर इससे सेवा ली जाएगी। महाभारत युद्ध में घटोत्कच कर्ण के हाथों मारा गया था।

 

 

 

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