Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • ब्राह्मणों की इस जिद ने कश्मीर को बनाया इस्लामिक, अगर मान जाते तो आज हिंदू होते सारे कश्मीरी

ब्राह्मणों की इस जिद ने कश्मीर को बनाया इस्लामिक, अगर मान जाते तो आज हिंदू होते सारे कश्मीरी

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. जिसे लेकर राज्य में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. इस बीच इनखबर आपके लिए कश्मीर के इतिहास से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा लेकर आया है. इस किस्से में हम आपको बताएंगे कि कैसे कश्मीर इस्लामिक बना. 700 साल पहले शुरू […]

Advertisement
Muslim-Hindu
  • September 9, 2024 7:13 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

श्रीनगर/नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. जिसे लेकर राज्य में सियासी हलचल बढ़ी हुई है. इस बीच इनखबर आपके लिए कश्मीर के इतिहास से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा लेकर आया है. इस किस्से में हम आपको बताएंगे कि कैसे कश्मीर इस्लामिक बना.

700 साल पहले शुरू हुई कहानी…

कश्मीर के इस्लामिक बनने की कहानी शुरू होती है आज से करीब 700 साल पहले. उस वक्त कश्मीर में सहदेव नाम का एक हिंदू राजा राज कर रहा था. सहदेव बेहद लापरवाह राजा था, उसकी शासन चलाने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी. उसने शासन चलाने का सारा काम अपने सेनापति रामचंद्र को सौंप रखा था. रामचंद्र अपनी बेटी कोटा की मदद से कश्मीर पर शासन करता था.

इस बीच एक दिन तिब्बत का एक राजकुमार जिसका नाम रिंचन था, वह कश्मीर पहुंचा. इस दौरान उसके साथ सैकड़ों हथियारबंद सैनिक भी कश्मीर आए थे. रिंचन ने बताया कि उसके पिता की गृह-युद्ध में हत्या की जा चुकी है, वो जान बचाकर यहां पहुंचा है. रिंचन की बातें सुनकर रामचंद्र ने उसे पनाह दे दी.

इस दौरान 1320 में कश्मीर पर हमला होता है. जुल्चू नाम के मंगोल सेनापति ने कश्मीर पर हमला कर दिया. जिससे राजा सहदेव काफी डर गया और वह बिना लड़े ही किश्तवाड़ में जाकर छिप गया. जुल्चू करीब 8 महीने तक कश्मीर रहा और उसने वहां पर खूब उत्पात मचाया. इसके बाद कश्मीर से लौटते वक्त वह दिवासर परगना की चोटी के पास बर्फीले तूफान फंस गया और सेना सहित दफ्न हो गया.

रिंचन ने साजिश से हथियाई सत्ता

सहदेव के भागने के बाद अब कश्मीर पर रामचंद्र का शासन हो गया. इस बीच तिब्बती शरणार्थी राजकुमार रिंचन ने मौका पाकर राज्य में विद्रोह करना शुरू कर दिया और साजिश रचकर रामचंद्र की हत्या करवा दी. फिर वह कश्मीर की गद्दी पर बैठ गया. इसके बाद उसने रामचंद्र की बेटी कोटा के सामने शादी करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन कोटा पिता के हत्यारे से शादी नहीं करना चाहती थी.

काफी मान-मनौव्वल के बाद कोटा, रिंचन से शादी करने के लिए तैयार हो जाती है. शादी के बाद वह चाहती थी कि रिंचन हिंदू धर्म अपना ले. रिंचन भी हिंदू बनना चाहता था, लेकिन ब्राह्मणों ने उसे दीक्षित करने से इनकार कर दिया. ब्राह्मणों नहीं चाहते थे कि रिंचन हिंदू धर्म अपनाकर उच्च जाति में शामिल हो जाए. ब्राह्मणों के इनकार के बाद रिंचन अपने मन की शांति के लिए एक सूफी संत बुलबुल शाह के पास जाता है. इसके बाद वह सूफी संत के प्रभाव में आकर इस्लाम को अपना लेता है. फिर वह रिंचन से सुल्तान सदरुद्दीन बन जाता है.

इस तरह रिंचन, सदरुद्दीन बनकर कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक बनता है. इसके बाद उसने अपने चचेरे ससुर रावणचंद्र को भी इस्लाम कबूल करवा दिया. धीरे-धीरे राज्य के सभी अधिकारी और सैनिक इस्लाम धर्म अपनाते चले गए. बता दें कि रिंचन उर्फ सुल्तान सदरुद्दीन ने ही कश्मीर की पहली मस्जिद बनवाई थी. यह मस्जिद श्रीनगर में अभी भी है.

यह भी पढ़ें-

जम्मू-कश्मीर के कलियुगी बेटे ने माता-पिता को सड़क पर चप्पल से पीटा, वीडियो वायरल

Advertisement