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खून की कमी से जूझ रही भारत की कई महिलाएं, बढ़ती जा रही है संख्या, जानिए इसके पीछे का कारण

नई दिल्ली: नई दिल्ली: भारत में खून की कमी (एनीमिया) से जूझ रही महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 6 से 59 माह के 40% बच्चों में खून की कमी है और 37% प्रेगनेंट महिलाएं एनीमिया की चपेट में हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही […]

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खून की कमी से जूझ रही भारत की कई महिलाएं, बढ़ती जा रही है संख्या, जानिए इसके पीछे का कारण
  • September 8, 2024 2:42 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: नई दिल्ली: भारत में खून की कमी (एनीमिया) से जूझ रही महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 6 से 59 माह के 40% बच्चों में खून की कमी है और 37% प्रेगनेंट महिलाएं एनीमिया की चपेट में हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए।

खून की कमी (एनीमिया) क्या है?

खून की कमी, जिसे एनीमिया कहा जाता है, तब होती है जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी) या हीमोग्लोबिन नहीं होते। हीमोग्लोबिन वह प्रोटीन है जो खून को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। जब शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, तो शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे थकान, कमजोरी, चक्कर आना और साँस की समस्या हो सकती है।

खून की कमी का मुख्य कारण

1. आयरन की कमी: खून की कमी का सबसे आम कारण शरीर में आयरन की कमी है। आयरन हीमोग्लोबिन का प्रमुख घटक है। अगर आहार में आयरन की मात्रा कम होती है या शरीर आयरन को अच्छे से अवशोषित नहीं कर पाता, तो खून की कमी हो सकती है।

2. असंतुलित आहार: भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं संतुलित आहार नहीं ले पातीं, खासकर ग्रामीण इलाकों में। पौष्टिक भोजन की कमी और आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का कम सेवन एनीमिया का एक बड़ा कारण है।

3. मासिक धर्म की समस्याएं: महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान अधिक खून का बहना भी एक कारण हो सकता है, जिससे शरीर में खून की कमी हो जाती है।

4. गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को अपने और बच्चे के विकास के लिए अधिक खून की आवश्यकता होती है। अगर वे अपने आहार में आयरन की पूर्ति नहीं कर पातीं, तो खून की कमी हो जाती है। यह समस्या गर्भवती महिलाओं के लिए और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि यह गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को भी प्रभावित कर सकता है।

5. संक्रमण और बीमारियां: कुछ संक्रमण और बीमारियां जैसे मलेरिया और गुर्दे की समस्याएं भी शरीर में खून की कमी का कारण बन सकती हैं।

खून की कमी के लक्षण

खून की कमी के कई लक्षण होते हैं, जिनमें थकान, कमजोरी, सिरदर्द, चक्कर आना, त्वचा का पीला पड़ना, और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। गर्भवती महिलाओं में खून की कमी गर्भस्थ शिशु के विकास में भी बाधा उत्पन्न कर सकती है और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ा देती है।

क्या है समस्या का समाधान

1. आयरन युक्त आहार: महिलाओं को अपने आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी), दालें, अनाज, सूखे मेवे, और रेड मीट को शामिल करना चाहिए।

2. आयरन सप्लीमेंट्स: अगर खान-पान से आयरन की कमी पूरी नहीं हो पा रही है, तो डॉक्टर की सलाह से आयरन सप्लीमेंट्स लेना चाहिए।

3. फोलिक एसिड का सेवन: फोलिक एसिड और विटामिन बी12 भी रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं। इसलिए इनकी पूर्ति के लिए संतुलित आहार और सप्लीमेंट्स लेना जरूरी है।

4. मासिक धर्म की जांच: महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, ताकि उचित इलाज किया जा सके।

5. स्वास्थ्य परीक्षण: नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराकर खून की कमी का समय पर पता लगाना और उसका इलाज करना आवश्यक है।

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