INDIA न्यूज़ का रियलिटी चेक: गैस चैंबर बन गई है दिल्ली

अक्टूबर के बाद से दिल्ली शहर की हवा सात गुना ज्यादा तेजी से प्रदूषित हो रही है. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी शहर में रहने को किसी 'गैस चेंबर' में रहने जैसा कह दिया है. सरकार इतना परेशान है कि सड़कों पर गाड़ियों की संख्या नियंत्रित करने के लिए ईवेन और ऑड नंबर की गाड़ियों का नया सिस्टम लागू करने पर विचार कर रही है.

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INDIA न्यूज़ का रियलिटी चेक: गैस चैंबर बन गई है दिल्ली

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  • December 5, 2015 1:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
नई दिल्ली. अक्टूबर के बाद से दिल्ली शहर की हवा सात गुना ज्यादा तेजी से प्रदूषित हो रही है. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी शहर में रहने को किसी ‘गैस चेंबर’ में रहने जैसा कह दिया है. सरकार इतना परेशान है कि सड़कों पर गाड़ियों की संख्या नियंत्रित करने के लिए ईवेन और ऑड नंबर की गाड़ियों का नया सिस्टम लागू करने पर विचार कर रही है. 
 
सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) के एक विशेषज्ञ ने गुरुवार को यह जानकारी दी. शहर में अलग-अलग जगहों पर लगे निगरानी केंद्रों में सूचकांक पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और 10 से ऊपर ‘गंभीर’ स्तर पर है. शहर की परिवेशी वायु गुणवत्ता भी ‘बहुत खराब’ है और यह स्थिति बच्चों व वृद्धों जैसे संवेदनशील समूहों के लिए बेहद खतरनाक है. वहीं पूरी दिल्ली में प्रदूषण के निरंतर बढ़ने का हवाला देते हुए इसके खतरनाक स्तर पर पहुंचने के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने एक बार फिर सभी निकाय संस्थाओं और डीडीए को पत्र लिखकर यह कहा है कि वह खुले में अपशिष्ट पदार्थों को जलाने पर नजर रखें.
 
विशेषज्ञों ने कहा कि हवा में मौजूद इसी तरह के सूक्ष्म प्रदूषकों की महीन मात्रा से बेजिंग में अधिकारी बाहरी गतिविधियों पर रोक लगाने, कारखाने बंद रखने और वाहनों की आवाजाही के विनियमन के लिए परामर्श जारी करने के लिए मजबूर हुए हैं. दिल्ली की हवा में इसी तरह के सूक्ष्म प्रदूषण मौजूद हैं. आनंद विहार में प्रदूषक लगातार सुरक्षित स्तरों से ऊपर बने हुए हैं. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) इलाके में 348 और 808 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर यह स्तर पीएम 2.5 और पीएम 10 है. सुरक्षित स्तर 60 और 100 है. उससे ज्यादा स्तर श्वसन तंत्र के लिए नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि प्रदूषण कण फेफड़े के भीतर बैठ जाते हैं. सीएसई की अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि एक अक्तूबर से प्रदूषण के स्तर में सात गुना वृद्धि हुई है. ठंड में प्रदूषण की स्थिति बहुत गंभीर होने जा रही है. लोगों से अपनी बाहरी गतिविधियों को कम करने की सलाह जारी करने की जरूरत है.
 
 

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