नई दिल्ली: शिक्षा केवल ज्ञान अर्जित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह व्यक्तित्व का विकास करने का साधन है। एक सच्चे शिक्षक का उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि उन्हें जीवन की सही दिशा दिखाना होता है। महान शिक्षक वही होता है जो अपने विद्यार्थियों को समाज में एक सकारात्मक बदलाव […]
नई दिल्ली: शिक्षा केवल ज्ञान अर्जित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह व्यक्तित्व का विकास करने का साधन है। एक सच्चे शिक्षक का उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि उन्हें जीवन की सही दिशा दिखाना होता है। महान शिक्षक वही होता है जो अपने विद्यार्थियों को समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करे। भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। शिक्षक दिवस पर हम इतिहास के कुछ महान शिक्षकों की बात करेंगे, जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से देश और समाज को नई दिशा दी और हमारे भविष्य को संवारने में अहम भूमिका निभाई।
डॉ. राधाकृष्णन का नाम शिक्षक दिवस से जुड़ा हुआ है। वह एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे, जिन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। जब वे राष्ट्रपति बने, तो उनके शिष्यों ने उनके जन्मदिन को विशेष रूप से मनाने का सुझाव दिया। लेकिन राधाकृष्णन ने कहा कि उनके जन्मदिन को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाए, ताकि शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त किया जा सके। उन्होंने कहा था, “यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाए, तो एक शिक्षक सिर्फ ज्ञान नहीं देता, बल्कि वह अपने विद्यार्थियों को एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करता है।”
रवींद्रनाथ टैगोर न केवल एक महान कवि और लेखक थे, बल्कि एक महान शिक्षक भी थे। उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जहां छात्रों को प्रकृति के साथ जुड़कर शिक्षा दी जाती थी। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों की स्वतंत्र सोच और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। टैगोर ने शिक्षा में रचनात्मकता और कला को महत्वपूर्ण स्थान दिया और कहा कि “शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को समझने में मदद करना है।”
सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली महिला शिक्षक माना जाता है। उन्होंने समाज के पिछड़े वर्गों और महिलाओं के लिए शिक्षा के अधिकार की लड़ाई लड़ी। सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन कभी पीछे नहीं हटीं। उन्होंने शिक्षा को महिलाओं के सशक्तिकरण का सबसे बड़ा साधन माना और इसके लिए कई स्कूलों की स्थापना की।
भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को ‘मिसाइल मैन’ के रूप में जाना जाता है। लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा योगदान शिक्षा के क्षेत्र में रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को हमेशा बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया। कलाम साहब का मानना था कि शिक्षक ही छात्रों के जीवन को आकार देते हैं और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
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