नई दिल्ली: जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पूरी तरह से घिरी हुई है. ना सिर्फ विपक्षी दल बल्कि एनडीए में शामिल दल भी जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं. इस बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने जाति जनगणना पर बड़ा बयान दिया है. आरएसएस ने सोमवार को […]
नई दिल्ली: जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पूरी तरह से घिरी हुई है. ना सिर्फ विपक्षी दल बल्कि एनडीए में शामिल दल भी जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं. इस बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने जाति जनगणना पर बड़ा बयान दिया है. आरएसएस ने सोमवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना लोगों के कल्याणकारी है, लेकिन इस मुद्दे को चुनाव में राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. केंद्र सरकार को सिर्फ डेटा हासिल करने के लिए जाति जनगणना करानी चाहिए.
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारे हिंदू समाज में जाति एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. जातीय जनगणना हमारी राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के लिए काफी अहम है. इसे बहुत ही गंभीरता के साथ कराया जाना चाहिए. इसके साथ ही सुनील ने कहा कि किसी भी जाति या समुदाय की भलाई के लिए सरकार के पास उसका आंकड़ा होना जरूरी होता है. इसीलिए सिर्फ समाज की भलाई के लिए जाति जनगणना को करवाया जाना चाहिए, लेकिन इसे राजनीतिक हथियार नहीं बनाना चाहिए.
बता दें कि विपक्षी दल खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं. राहुल अपने लगभग हर भाषण में जाति जनगणना कराए जाने की बात करते हैं. उनके अलावा समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), डीएमके और टीएमसी जैसी विपक्षी पार्टियां भी जाति जनगणना की मांग करती हैं. इसके साथ ही एनडीए में शामिल कुछ दल जैसे- एलजेपी और जेडीयू भी जाति जनगणना की मांग कर चुके हैं.
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