बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं।
नई दिल्ली: बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ गए हैं। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन ओइक्या परिषद के अनुसार, देशभर में 49 हिंदू शिक्षकों को जबरन इस्तीफा देने पर मजबूर किया गया। बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर के जबरन इस्तीफे का मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है, और लोग जमकर इसकी निंदा कर रहे हैं।
शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़कर जाने के बाद बांग्लादेश में स्थिति और बिगड़ गई है। अंतरिम सरकार के आने के बाद से ही असामाजिक तत्वों ने हिंदू समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। देश के 48 जिलों में हिंदुओं के घरों, मंदिरों और कार्यस्थलों पर हमले किए गए हैं। बांग्लादेश के 278 स्थानों पर हिंदू परिवारों को हिंसा और बर्बरता का सामना करना पड़ा है।
अल्पसंख्यक शिक्षकों को हिंसा और धमकियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा। 30 अगस्त तक 49 शिक्षकों ने इस्तीफा दिया, हालांकि उनमें से 19 को बाद में बहाल कर दिया गया। यह घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा किस हद तक बढ़ गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की स्थिरता और विकास के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा बांग्लादेश की ‘विकास यात्रा’ में साथ रहेगा और वहां के हालात पर करीबी नजर रखेगा।
अंतरिम सरकार ने शेख हसीना और उनके सहयोगियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई शुरू कर दी है। पूर्व कपड़ा एवं उद्योग मंत्री की गिरफ्तारी के बाद शेख हसीना पर भी हत्या और अन्य मामलों में मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। अब उनका बांग्लादेश लौटना मुश्किल हो गया है, क्योंकि वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है और लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है।
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