चिराग सरेंडर नहीं करते तो चाणक्य तोड़ देते लोजपा, भेजा था संदेश 100% स्ट्राइक लेकर बैठे रह जाओगे

नई दिल्ली. हरियाणा और जम्मू-काश्मीर में विधानसभा चुनाव है लेकिन कोहराम मचा है बिहार में. लोजपा आर के प्रमुख चिराग पासवान की आसमान में उड़ती पतंग कटकर जमीन पर आ गिरी है. उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि भाजपा के चाणक्य ऐसा दांव चलेंगे कि उनके दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ जाएगी. चाचा से सियासी […]

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चिराग सरेंडर नहीं करते तो चाणक्य तोड़ देते लोजपा, भेजा था संदेश 100% स्ट्राइक लेकर बैठे रह जाओगे

Vidya Shanker Tiwari

  • August 31, 2024 8:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago


नई दिल्ली.
हरियाणा और जम्मू-काश्मीर में विधानसभा चुनाव है लेकिन कोहराम मचा है बिहार में. लोजपा आर के प्रमुख चिराग पासवान की आसमान में उड़ती पतंग कटकर जमीन पर आ गिरी है. उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि भाजपा के चाणक्य ऐसा दांव चलेंगे कि उनके दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ जाएगी. चाचा से सियासी दुश्मनी में पहला राउंड पशुपति पारस के नाम रहा था.

100 फीसद स्ट्राइक का गुरूर

सेकेंड राउंड चिराग पासवान के नाम रहा और 100 फीसद स्ट्राइक मिल गई.पीएम मोदी के हनुमान यानी चिराग पासवान के स्ट्राइक भ्रम को दूर करने के लिए भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने ऐसा चाल चल दी कि दौड़े दौड़े गुलदस्ता लेकर पहुंच गये. सूत्रों के मुताबिक लोजपा आर के प्रमुख चिराग पासवान हाल के दिनों में जिस तरह से मोदी सरकार के फैसलों पर सवाल उठा रहे थे उससे भाजपा को लग गया था कि वह बहुत बड़ा सिर दर्द साबित होने वाले हैं. उन्होंने एससी के आरक्षण में क्रीमी लेयर, लेटरल एंट्री, जातिगत जनगणना व वक्फ कानून में संशोधन सहित तमाम मुद्दों पर अपनी असहमति जाहिर की थी.

शाह ने काटी चिराग की पतंग

कुछ दिनों तक भाजपा के चाणक्य यानी आमित शाह ने बर्दाश्त किया लेकिन जब उनकी बयानबाजी बढ़ती गई तो उन्होंने चिराग की उड़ती पतंग को काटने के लिए दो तरफ से घेरा. एक तरफ चाचा पशुपति पारस को भाव देना शुरू किया तो दूसरी तरफ लोजपा के 5 सांसदों में टूट की खबर अचानक चलने लगी. बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चिराग पासवान की पार्टी को 5 सीटें हाजीपुर, जमुई, समस्तीपुर, खगड़िया व वैशाली दी थी और लोजपा पांचों सीटें जीतने में कामयाब हो गई थी.

चिराग कर गये बड़ी चूक

चिराग पासवान पर सौ फीसद स्ट्राइक रेट का नशा चढ़ने लगा था. वह चाहते थे कि मोदी सरकार में मलाई भी खाते रहें और सरकार की अलग अलग मुद्दों पर घेराबंदी कर अपना वोट बैंक भी मजबूत करें. राजनीति में हर पार्टी अपना वोट बैंक मजबूत करती है और नेता बयानबाजी करते हैं लेकिन कई बार इसी खेल में सीमा लांघ जाते हैं.

चिराग पासवान के मामले में भी ऐसा ही हुआ, वह सीमा लांघ गये, हर मुद्दे पर असहमति जाहिर करने लगे जो कि अमित शाह को नागवार गुजरा लिहाजा उन्होंने उनके सांसदों से संपर्क बढ़ा दिया, खबर चल गई कि फिर लोजपा में टूट हो सकती है. चाचा पशुपति पारस को बुलाकर मिल लिया, इस तरह चिराग की पतंग को काट दिया. वह भागे भागे गुलदस्ता लेकर शाह के पास पहुंचे. फिलहाल तो बात बन गई है लेकिन कब तक सब ठीक रहेगा इस पर नजर रहेगी.

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