नई दिल्ली: कच्चा तेल को काला सोना भी कहा जाता है। पूरी दुनिया को ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक बड़ा स्रोत है। इस कच्चे तेल से कई तरह के ईंधन और दूसरे उत्पाद बनाए जाते हैं। इससे पेट्रोल, डीजल और केरोसिन जैसी चीजें बनाई जाती हैं। अब सवाल यह होता है कि एक […]
नई दिल्ली: कच्चा तेल को काला सोना भी कहा जाता है। पूरी दुनिया को ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक बड़ा स्रोत है। इस कच्चे तेल से कई तरह के ईंधन और दूसरे उत्पाद बनाए जाते हैं। इससे पेट्रोल, डीजल और केरोसिन जैसी चीजें बनाई जाती हैं। अब सवाल यह होता है कि एक ही तरह के कच्चे तेल से तीन अलग-अलग चीजें पेट्रोल, डीजल और केरोसिन कैसे बनाई जाती हैं। आइए जानते है इस सवाल का विस्तार से जवाब।
जमीन से निकलने वाला कच्चा तेल मुख्य रूप से लाखों सालों से जमा हुए कार्बनिक पदार्थों से बनता है। ये पदार्थ जमीन के अंदर उच्च दबाव और उच्च तापमान के कारण तेल और गैस में बदल जाते हैं। बाद में इन्हें धरती के अंदर से ड्रिलिंग करके बाहर निकाला जाता है और फिर इसे रिफाइनरी में भेज दिया जाता है।
कच्चे तेल से पेट्रोल, डीजल और केरोसिन जैसे उत्पाद बनाने की प्रक्रिया को अंग्रेजी में रिफाइनिंग कहते हैं। रिफाइनिंग प्रक्रिया के दौरान कच्चे तेल को अलग-अलग घटकों में तोड़ा जाता है, जिन्हें हाइड्रोकार्बन कहते हैं। इन हाइड्रोकार्बन का इस्तेमाल अलग-अलग तरह के ईंधन और दूसरे उत्पाद बनाने में किया जाता है। रिफाइनिंग के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। इनमें डिस्टिलेशन, क्रैकिंग, रिफॉर्मिंग और एल्काइलेशन जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं।
दरअसल, पेट्रोल एक हल्का हाइड्रोकार्बन है. जो छोटी कार्बन चेन से बना होता है। डिस्टिलेशन के दौरान पेट्रोल को कच्चे तेल से अलग किया जाता है, फिर इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसे अलग-अलग यौगिकों के साथ मिलाया जाता है। इसके बाद ही पेट्रोल बनता है, जिससे हमारे वाहन चलते हैं।
डीजल भारी हाइड्रोकार्बन से बनता है। इसे भी डिस्टिलेशन प्रक्रिया से बनाया जाता है। डीजल बनाने के लिए इसे कई बार हाइड्रोट्रीट किया जाता है ताकि इसमें से सल्फर और दूसरी अशुद्धियां निकल सकें। इससे यह पर्यावरण के लिए थोड़ा कम हानिकारक हो जाता है।
केरोसिन भी डिस्टिलेशन प्रक्रिया से बनता है। डिस्टिलेशन टावर में डीजल के ठीक ऊपर केरोसिन इकट्ठा किया जाता है। केरोसिन मिड-रेंज हाइड्रोकार्बन से बनता है।
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