क्या है ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, कैसे होता है इसका इलाज

नई दिल्ली: हमारी जीवनशैली का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में कामकाज का बढ़ता दबाव और तनाव मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। भागदौड़ और व्यस्तता भरे जीवन के चलते लोग मानसिक विकारों का शिकार हो रहे हैं, लेकिन कई बार इन विकारों की सही पहचान न […]

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क्या है ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, कैसे होता है इसका इलाज

Yashika Jandwani

  • August 30, 2024 6:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: हमारी जीवनशैली का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में कामकाज का बढ़ता दबाव और तनाव मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। भागदौड़ और व्यस्तता भरे जीवन के चलते लोग मानसिक विकारों का शिकार हो रहे हैं, लेकिन कई बार इन विकारों की सही पहचान न हो पाने के कारण स्थिति गंभीर हो जाती है। ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) एक ऐसा ही मानसिक विकार है, जिससे आजकल कई लोग पीड़ित हैं।

ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर

क्या है ओसीडीन ?

ओसीडी एक मानसिक विकार है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के मन में एक ही तरह के विचार बार-बार आते हैं। यह जानते हुए भी कि इन विचारों का कोई मतलब नहीं है फिर भी वह व्यक्ति उन विचारों को रोक नहीं पाता। यह विकार अधिकतर किशोरों और युवाओं में देखा जाता है। इस विकार के लक्षणों में बार-बार हाथ धोना, चीजों को बार -बार गिनना और सफाई की अत्यधिक आदत होना शामिल हैं।

Obsessive-Compulsive Disorder (OCD)

ओसीडी के लक्षण

ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति के मन में बार-बार एक ही विचार आता है। इससे ग्रसित व्यक्ति डिप्रेशन या एंग्जायटी का शिकार हो सकता है। इसके अलावा, नींद न आना, खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने की चिंता, बार-बार आंख झपकना और चीजों को गिनने की आदत भी इसके लक्षण हो सकते हैं। इतना ही नहीं, इसके अलावा गैस, दरवाजे, या अन्य चीजों को लेकर हर समय चिंतित रहना भी ओसीडी का लक्षण हो सकता है।

Obsessive-Compulsive Disorder (OCD) - Symptoms, Treatment, And Causes

ओसीडी का इलाज

ओसीडी का कोई निश्चित इलाज नहीं है, इसे नियंत्रित करने के लिए डाइट में आवश्यक बदलाव और थैरेपी मददगार साबित हो सकते हैं। ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति को विटामिन और मिनरल से भरपूर आहार लेना चाहिए। डिप्रेशन बढ़ने वाली चीज़ों, जैसे फोन या स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से बचना चाहिए। बीहेवियरल थैरेपी और टॉक थैरेपी भी फायदेमंद हो सकती हैं। इसके अलावा स‍िरोटोन‍िन हार्मोन की कमी को पूरा करने के लिए दवाइयों का सेवन किया जा सकता है। अगर आपको भी यह लक्षण खुद में नजर आते है तो इसे नजरअंदाजन करें। इस मानसिक बीमारी के पिटारा पाने के लिए समय पर चिकित्सक की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना और समय पर उपचार करना आवश्यक है, ताकि इस विकार के घातक परिणामों से बचा जा सके।

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