इस डिसऑर्डर से किन्नर पैदा होता है बच्चा, जानें क्या कहता है साइंस

नई दिल्ली: प्रकृति ने मानव जाति में पुरुष और महिला के अलावा एक और जेंडर की रचना की है, जिसे किन्नर या थर्ड जेंडर के नाम से जाना जाता है। विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो किन्नर या हिजड़ा न तो पूर्ण रूप से पुरुष होते हैं और न ही महिला, बल्कि उनका शरीर […]

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इस डिसऑर्डर से किन्नर पैदा होता है बच्चा, जानें क्या कहता है साइंस

Yashika Jandwani

  • August 28, 2024 10:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: प्रकृति ने मानव जाति में पुरुष और महिला के अलावा एक और जेंडर की रचना की है, जिसे किन्नर या थर्ड जेंडर के नाम से जाना जाता है। विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो किन्नर या हिजड़ा न तो पूर्ण रूप से पुरुष होते हैं और न ही महिला, बल्कि उनका शरीर और जेंडर एक अलग तरह का ही होता है। इसे विज्ञान में क्रोमोजोम्स के असामान्य मिलन के परिणामस्वरूप एक गड़बड़ी माना जाता है, जो कभी-कभी थर्ड जेंडर शिशु के जन्म का कारण बनती है।

थर्ड जेंडर की जनसंख्या

भारत में थर्ड जेंडर की जनसंख्या को लेकर पहले कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन 2011 की जनगणना से इसे गिनने की प्रक्रिया शुरू हुई। 2011 में यह संख्या लगभग 4.9 लाख सामने आई थी। हालांकि जन्म के समय इनका अनुपात लड़कों या लड़कियों की तुलना में काफी कम होता है और अधिकांश देशों में इस जेंडर का डेटा भी नहीं रखा जाता।

Third Gender Total Population

कॉनजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया

किन्नर शिशु का जन्म तब होता है जब महिला के x-x क्रोमोजोम्स और पुरुष के x-y क्रोमोजोम्स के बीच असामान्यता होती है। आमतौर पर महिला के x क्रोमोजोम्स और पुरुष के x क्रोमोजोम्स से फीमेल भ्रूण और y क्रोमोजोम्स से मेल भ्रूण बनता है। वहीं अगर क्रोमोजोम्स में डिसऑर्डर होता है, तो थर्ड जेंडर भ्रूण का विकास शुरू हो जाता है। इस स्थिति को मेटाबोलिक डिसऑर्डर, कॉनजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया और क्रोमोजोम्स की असामान्यता से जोड़ा जाता है।

किन्नर शिशु

स्त्री या पुरुष

कई मामलों में किन्नर शिशु जैविक रूप से स्त्री या पुरुष होते हैं, लेकिन उनके जननांग स्पष्ट रूप से पुरुष या महिला की तरह नहीं होते हैं। इस स्थिति को इंटरसेक्स कहा जाता है, जिसमें ओवरी और टेस्टिस दोनों हो सकते हैं या एक भी नहीं। भ्रूण के शुरुआती विकास के दौरान मेल-फीमेल जननांग एक ही टिश्यू से बनते हैं। मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स का विकास टेस्टास्टरोन हार्मोन की उपस्थिति पर निर्भर करता है। टेस्टास्टरोन की कमी के कारण मेल शिशु छोटे पेनिस और टेस्टिस के साथ जन्म ले सकता है। वहीं फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स में क्लिटर्स का बड़ा होना और लाबिया का जुड़ा रहना भी इस स्थिति का हिस्सा हो सकता है।

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