स्पेन पर मुस्लिम शासन ने करीब 700 सालों तक राज किया, लेकिन आज वहां मुसलमानों की संख्या केवल 5% ही रह गई है। 2 जनवरी 1492 को
नई दिल्ली: स्पेन पर मुस्लिम शासन ने करीब 700 सालों तक राज किया, लेकिन आज वहां मुसलमानों की संख्या केवल 5% ही रह गई है। 2 जनवरी 1492 को, ग्रेनाडा के मूरिश साम्राज्य का अंत हुआ जब किंग फर्डिनांड और रानी ईसाबेला की ईसाई सेनाओं ने अंतिम मुस्लिम शासक राजा बोआब्दिल को हराया। इस जीत के बाद, स्पेन में ईसाई शासन पूरी तरह स्थापित हो गया और मुसलमानों को धर्म परिवर्तन या देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। जिन लोगों ने धर्म नहीं बदला, उन्हें स्पेन से निकाल दिया गया। इस तरह, एक समृद्ध मुस्लिम साम्राज्य इतिहास के पन्नों में समा गया।
11वीं शताब्दी में ग्रेनाडा मुस्लिम साम्राज्य की शक्ति और प्रभाव के चरम पर था। सुल्तान आल्मोराविद के शासनकाल में यह राज्य एक प्रमुख शक्ति बन गया था। 1238 से शुरू हुए ईसाई सेनाओं के आक्रमण ने धीरे-धीरे पूरे स्पेन को अपनी चपेट में लिया, और मुसलमानों को दक्षिणी स्पेन के ग्रेनाडा में समेट दिया। ग्रेनाडा इस समय मुस्लिम सभ्यता का सबसे बड़ा गढ़ बन गया।
ग्रेनाडा के साम्राज्य के दौरान सांस्कृतिक और आर्थिक विकास का एक सुनहरा दौर चला। 15वीं शताब्दी के अंत तक, स्पेन में ईसाई राजा फर्डिनांड और रानी ईसाबेला की शक्ति मजबूत हो गई। इनकी सेनाओं ने ग्रेनाडा पर कब्जा कर लिया और मुस्लिम शासन को समाप्त कर दिया। इसके बाद, स्पेन में कभी भी मुस्लिम शासन की वापसी नहीं हुई।
2 जनवरी 1492 को ग्रेनाडा के अंतिम मूर शासक, राजा बोआब्दिल ने अपने राज्य को स्पेनी सेनाओं को सौंप दिया। इसके बाद, 1502 में स्पेनी शासन ने सभी मुसलमानों को ईसाई धर्म अपनाने का आदेश दिया। जिन्होंने धर्म नहीं बदला, उन्हें देश से निकाल दिया गया। इस प्रकार, ग्रेनाडा में मुस्लिम मूर साम्राज्य का पूरी तरह से खात्मा हो गया।
ग्रेनाडा के अंतिम बादशाह अबू-अब्दुल्लाह अपने किले पर खड़े होकर अपने साम्राज्य के पतन की तस्वीर को देखकर रो रहे थे। उनका साम्राज्य समाप्त हो चुका था और उनकी शक्तियां खत्म हो चुकी थीं। यह दृश्य उनकी हार और निराशा का प्रतीक था।
आज, स्पेन में मुस्लिम समुदाय की संख्या बेहद कम रह गई है, और उनका सांस्कृतिक प्रभाव भी काफी घट गया है। पहले एक मजबूत साम्राज्य के रूप में जाना जाने वाला ग्रेनाडा अब केवल इतिहास के पन्नों में ही जीवित है।
ये भी पढ़ें: कनाडा में ट्रूडो सरकार के फैसले से भारतीय छात्रों की बढ़ी चिंता, 70,000 से ज्यादा छात्र कर रहे विरोध
ये भी पढ़ें: देवता नहीं दानव हैं हनुमान जी! अमेरिका में हिंदुओं को सता रहे कट्टरपंथी