आज के समय में हर कोई अपने पैरों की सुरक्षा के लिए जूते-चप्पल पहनता है। लेकिन भारत में एक गांव ऐसा भी है, जहां लोग जूते-चप्पल नहीं पहनते।
नई दिल्ली: आज के समय में हर कोई अपने पैरों की सुरक्षा के लिए जूते-चप्पल पहनता है। लेकिन भारत में एक गांव ऐसा भी है, जहां लोग जूते-चप्पल नहीं पहनते। इसके पीछे की वजह बेहद खास और अनोखी है। चलिए जानते है इस गांव में लोग क्यों नहीं पहनते जूते-चप्पल?
तमिलनाडु के एक छोटे से गांव अंडमान में, जो चेन्नई से करीब 450 किलोमीटर दूर है, लोग जूते-चप्पल पहनकर बाहर नहीं निकलते। गांव में लगभग 130 परिवार रहते हैं, जो ज्यादातर खेती या मजदूरी करते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि उनके गांव की रक्षा मुथ्यालम्मा देवी करती हैं, और उनके सम्मान में लोग जूते-चप्पल नहीं पहनते। जिस तरह लोग मंदिर में जूते-चप्पल उतारकर जाते हैं, वैसे ही ये लोग पूरे गांव को पवित्र मानते हुए बिना चप्पल के ही चलते हैं।
हालांकि, अगर बहुत ज्यादा गर्मी हो या जमीन तप रही हो, तो कुछ लोग चप्पल पहन लेते हैं। लेकिन बच्चे स्कूल भी बिना जूते-चप्पल के ही जाते हैं। गांव में कुछ बुजुर्ग या बीमार लोग ही नियमित रूप से चप्पल पहनते हैं। बाकी लोग इस परंपरा का पूरी तरह पालन करते हैं।
जब कोई बाहरी मेहमान गांव में आता है, तो गांववाले उन्हें इस परंपरा के बारे में बताते हैं। हालांकि, किसी पर दबाव नहीं डाला जाता कि वे जूते-चप्पल न पहनें, लेकिन ज्यादातर लोग गांव की इस मान्यता का सम्मान करते हैं। इस गांव की अनोखी परंपरा लोगों की आस्था और देवी के प्रति सम्मान का प्रतीक है। सालों से चली आ रही इस प्रथा को गांववाले बिना किसी जबरदस्ती के खुशी से निभाते हैं।
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