गोगा नवमी पर ऐसे करें विधि-विधान से पूजा, मिलेंगे कई विशेष लाभ, जानिए इसका महत्व

नई दिल्ली: गोगा नवमी का पर्व मुख्य रूप से हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे ‘गोगा नवमी’ या ‘गोगा पंचमी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस दिन की पूजा और परंपराओं का संबंध […]

Advertisement
गोगा नवमी पर ऐसे करें विधि-विधान से पूजा, मिलेंगे कई विशेष लाभ, जानिए इसका महत्व

Shweta Rajput

  • August 27, 2024 2:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: गोगा नवमी का पर्व मुख्य रूप से हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे ‘गोगा नवमी’ या ‘गोगा पंचमी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस दिन की पूजा और परंपराओं का संबंध वीर गोगा जी महाराज से है, जिन्हें सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है।

गोगा नवमी का महत्व

गोगा नवमी का पर्व खास तौर पर किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है। गोगा जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है, और उन्हें सांपों के रक्षक के रूप में भी पूजा जाता है। इस दिन लोग गोगा जी की पूजा करके अपनी फसलों की रक्षा, परिवार की खुशहाली और सांपों के भय से मुक्ति की कामना करते हैं। वाल्मीकि समाज की मान्यताओं के अनुसार गोगा जी का जन्म राजस्थान के गोगामेड़ी में हुआ था, और वे महान योद्धा और भक्त थे। उन्होंने कठिन तपस्या और साधना से शक्तियां प्राप्त की थीं। उन्हें ‘जाहर वीर’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘सांपों के विष का विजेता’।

गोगा नवमी पूजा का मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार गोगा नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त 2024 भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर प्रात: 02 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और गोगा नवमी का दोपहर 01 बजकर 33 मिनट पर समापन अगले दिन यानी 28 अगस्त 2024पर होगा। इस हिसाब से मंगलवार, 27 अगस्त को गोगा नवमी मनाई जाएगी।

किस भगवान की होती है पूजा?

गोगा नवमी के दिन मुख्य रूप से गोगा जी महाराज की पूजा होती है। गोगा जी को नाग देवता के रूप में पूजा जाता है और उनका पूजन सांपों से सुरक्षा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से उन स्थानों पर गोगा जी की पूजा की जाती है, जहां गोगा जी के मंदिर या उनके प्रतीक चिन्ह स्थित होते हैं।

पूजा की विधि

1. प्रातः काल स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. पूजा स्थल की सफाई: जहां गोगा जी की मूर्ति या तस्वीर रखी गई हो, उस स्थान की सफाई करें और वहां गंगा जल का छिड़काव करें।

3. दीप जलाएं: पूजा के स्थान पर दीपक जलाएं और गोगा जी के सामने रखें।

4. धूप और अगरबत्ती: गोगा जी को धूप और अगरबत्ती अर्पित करें।

5. पंचामृत: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से गोगा जी का अभिषेक करें।

6. भोग: गोगा जी को मिठाई, लड्डू और दूध का भोग अर्पित करें।

7. नाग देवता का पूजन: गोगा जी के साथ नाग देवता का भी पूजन करें। उन्हें दूध और हल्दी का अर्पण करें।

8. गोगा जी की कथा: गोगा जी की कथा और उनके जीवन के चमत्कारों को सुनें और सुनाएं।

9. आरती: अंत में गोगा जी की आरती करें और उनसे परिवार की रक्षा, फसलों की सुरक्षा और सांपों के भय से मुक्ति की प्रार्थना करें।

10. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और परिवार व मित्रों के साथ प्रसाद ग्रहण करें।

गोगा जी से जुड़ी कुछ मान्यताएं

लोक कथाओं के अनुसार, गोगा जी ने सांपों के विष को निष्क्रिय करने की शक्ति प्राप्त की थी। वे जहां भी जाते, सांप उनका अनुसरण करते थे। वे अपने भक्तों की सांपों के भय से रक्षा करते थे और उन्हें आशीर्वाद देते थे। उनके भक्त उन्हें ‘गोगा वीर’ के नाम से पुकारते हैं और उनका आदर करते हैं। गोगा नवमी का पर्व न केवल सांपों के भय से मुक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह हमें गोगा जी महाराज के प्रति भक्ति और विश्वास का भी संदेश देता है। इस दिन विधि विधान से गोगा जी की पूजा करके हम अपनी फसलों की सुरक्षा, परिवार की समृद्धि और सांपों के भय से मुक्ति की कामना कर सकते हैं।

Also Read…

इस देश में महिलाओं के बोलने से बिगड़ जाती है मर्दों की नियत, बचने के लिए करना पड़ता है ये काम

क्या वजन घटाने के लिए गुनगुना पानी है लाभकारी, जानिए इसके पीछे को फैक्ट्स

Advertisement