कुतुब मीनार से सटी इस मस्जिद का नाम कुव्वत-उल-इस्लाम है
इस मस्जिद का निर्माण वर्ष 1192 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था
कुतुबुद्दीन ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर इसका निर्माण करवाया था
कहा जाता है कि मंदिरों को पूरा तोड़ने के बजाय उनको बदल कर मस्जिद
की इमारतों को बनवाया गया था
इसी कारण आज भी मस्जिद के खंभों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ साफ दिखाई देती हैं
मुस्लिम शासकों ने मंदिर के अवशेषों को छिपाने के लिए खंभों पर मोटा प्लास्टर लगवाया था
जब प्लास्टर हटाया गया तो सच्चाई सामने आई। अधिकांश मूर्तियाँ क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
मस्जिद का एक बड़ा हिस्सा ढ़ह जाने के बाद भी यह पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।