मंकी पॉक्स (एमपॉक्स) ने हाल ही में दुनियाभर में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। कोरोना वायरस की तरह यह कितना घातक होगा, इस पर बहस जारी
नई दिल्ली: मंकी पॉक्स (एमपॉक्स) ने हाल ही में दुनियाभर में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। कोरोना वायरस की तरह यह कितना घातक होगा, इस पर बहस जारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है, लेकिन इसके प्रभाव और नियंत्रण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि यह कोविड-19 जैसा गंभीर नहीं है। WHO के यूरोपीय निदेशक हंस क्लूज के अनुसार, मंकी पॉक्स को नियंत्रित करने के तरीके पहले से ज्ञात हैं और इसके लिए लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं है।
मंकी पॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो मवाद से भरे घावों और फ्लू जैसे लक्षणों का कारण बनता है। इसके संक्रमण के शुरुआती लक्षण बुखार हो सकते हैं, इसके बाद सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। बुखार के बाद शरीर पर चकत्ते आ सकते हैं, जिनमें खुजली और दर्द हो सकता है। संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिनों के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है। गंभीर मामलों में, घाव पूरे शरीर में फैल सकते हैं और मुंह, आंखों और गुप्तांगों को प्रभावित कर सकते हैं।
मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है, जिसमें यौन संबंध और नजदीकी बातचीत शामिल हैं। यह वायरस आंख, नाक, मुंह या सांस के जरिए भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल की गई वस्तुओं जैसे बिस्तर या बर्तन को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है। इसके अलावा, मंकी पॉक्स संक्रमित जानवरों जैसे बंदर, चूहे और गिलहरी से भी फैल सकता है।
WHO ने कहा है कि मंकी पॉक्स का प्रकोप कोविड-19 जैसा नहीं है और इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को एहतियात बरतनी होगी, जैसे संक्रमित लोगों से संपर्क से बचना, संक्रमित वस्तुओं को न छूना और अच्छे हाथ धोने की आदत अपनाना। यूरोपीय इलाकों में इसे फैलने से रोकने के लिए एहतियात जरूरी है, लेकिन लॉकडाउन की आवश्यकता नहीं है। सामान्य आबादी के लिए जोखिम कम है और मंकी पॉक्स को मिलकर नियंत्रित किया जा सकता है।
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