पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के 3 मामले सामने आए हैं, जो बाहरी देशों से आने वाले लोगों में मिले हैं. हालांकि अभी यह पता नहीं चल पाया है
नई दिल्ली: पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के 3 मामले सामने आए हैं, जो बाहरी देशों से आने वाले लोगों में मिले हैं. हालांकि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि इनमें कौन सा वैरिएंट है. भारत में भी अफ्रीका और सऊदी अरब जैसे देशों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं, जिससे यहां भी एमपॉक्स (मंकीपॉक्स) फैलने का जोखिम है.
अफ्रीका में फैलने वाला मंकीपॉक्स अब पाकिस्तान तक पहुंच गया है, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं. WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. दुनियाभर में अब तक करीब 20 हजार मामले सामने आए हैं, जिनमें से 537 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी को लेकर ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है.
मंकीपॉक्स का वायरस आमतौर पर चूहे, गिलहरी और नर बंदरों से फैलता है. इंसानों में यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या उसके कपड़ों और बिस्तर से भी फैल सकता है. इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं, जैसे शरीर में फफोले या छाले पड़ना, जिनमें मवाद भरता है और धीरे-धीरे सूखकर ये ठीक होते हैं. इसके साथ ही बुखार, मांसपेशियों में दर्द और जकड़न जैसी समस्याएं भी होती हैं.
भारत में भी 2022 में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे, जिससे सरकार ने सतर्कता बढ़ा दी है. बॉर्डर पर निगरानी कड़ी कर दी गई है, ताकि संक्रमण को रोका जा सके. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि मंकीपॉक्स की संक्रमण दर कोरोना जितनी तेज नहीं है और इसकी मृत्यु दर भी कोरोना से काफी कम है. इसलिए इस वायरस से घबराने की बजाय सतर्कता जरूरी है.
फिलहाल, मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. हालांकि, यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने JYNNEOS नामक एक वैक्सीन को मंजूरी दी है, जो संक्रमण को कम कर सकती है. अगर मरीज को संक्रमण के चार दिनों के अंदर यह वैक्सीन दी जाए, तो खतरा कम हो सकता है.
मंकीपॉक्स की मृत्यु दर कम है, खासकर उन लोगों में जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत है. अधिकतर लोग बिना किसी गंभीर समस्या के ठीक हो जाते हैं. हालांकि, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों और पहले से बीमार लोगों के लिए यह वायरस गंभीर हो सकता है.
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