नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन और शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद अब वहां पर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार देश चला रही है. फिलहाल पूरा देश हिंसा और तनाव से उबरने की कोशिश में जुटा है. कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है. हालांकि अभी भी देश पर कट्टरपंथियों […]
नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन और शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद अब वहां पर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार देश चला रही है. फिलहाल पूरा देश हिंसा और तनाव से उबरने की कोशिश में जुटा है. कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है. हालांकि अभी भी देश पर कट्टरपंथियों का खतरा बरकरार है. शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंकने वाले कट्टरपंथी अब देश को सेक्युलर नहीं शरिया की राह पर ले जाना चाहते हैं.
बांग्लादेश का प्रमुख इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी देश को इस्लामिक तरीके से चलाने की मांग कर रहा है. बता दें कि अगर ऐसा सच में होता है तो ये भारत के लिए बड़ा खतरा होगा, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी का आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने का पुराना इतिहास है. उसके हाथ में सियासी ताकत आने पर भारत में आतंकी खतरा बढ़ जाएगा.
इन खबरों के बीच अब जमात-ए-इस्लामी के महासचिव ने गुलाम परवार ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि जमात भारत के लिए कोई खतरा नहीं बनने वाला है. भारत और बांग्लादेश की सीमाएं स्थिर रहेंगी और हमारे संगठन की ओर से कोई भी आतंकी गतिविधि को अंजाम नहीं दिया जाएगा. परवार ने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार को हम पर भरोसा करना चाहिए. बता दें कि जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का पालूत भी कहा जाता है. पाकिस्तान के इशारे पर ही यह संगठन भारत में आतंकवाद फैलाने की कोशिश करता है.
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