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पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने शाही मंजूरी के बाद संभाली कमान, PM मोदी ने दी बधाई

थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की सबसे छोटी बेटी, पैटोंगटार्न शिनावात्रा, अब देश की प्रधानमंत्री बन गई हैं। हाल ही में

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पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने शाही मंजूरी के बाद संभाली कमान,  PM मोदी ने दी बधाई
  • August 18, 2024 5:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की सबसे छोटी बेटी, पैटोंगटार्न शिनावात्रा, अब देश की प्रधानमंत्री बन गई हैं। हाल ही में थाईलैंड की संसद ने उन्हें इस पद के लिए चुना था और रविवार को शाही मंजूरी के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 37 साल की उम्र में वह देश की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनीं और शिनावात्रा परिवार की तीसरी सदस्य हैं, जिन्होंने इस पद को संभाला है।

श्रेथा थाविसिन की जगह संभाली बागडोर

पैटोंगटार्न शिनावात्रा की नियुक्ति तब हुई जब देश के सुप्रीम कोर्ट ने नैतिकता उल्लंघन के एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को हटा दिया। अब पैटोंगटार्न फेउ थाई पार्टी की नेता के रूप में पार्टी और गठबंधन का नेतृत्व करेंगी। यह गठबंधन उसी सैन्य दल का हिस्सा है जिसने पहले की सरकारों का तख्तापलट किया था।

शिनावात्रा परिवार की मजबूत पकड़

पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड की दूसरी महिला प्रधानमंत्री बनी हैं, इससे पहले उनकी चाची यिंगलक शिनावात्रा और उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा भी प्रधानमंत्री रह चुके हैं। थाकसिन और यिंगलक दोनों को तख्तापलट के बाद देश छोड़ना पड़ा था। हालांकि, फेउ थाई पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनाने की प्रक्रिया के दौरान थाकसिन पिछले साल थाईलैंड लौट आए थे।

पिता और बेटी का साथ में आना चर्चा का विषय

रविवार को जब पैटोंगटार्न शिनावात्रा को बैंकॉक स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रधानमंत्री पद का नियुक्ति पत्र मिला, तो उनके साथ उनके पिता थाकसिन भी मौजूद थे। दोनों एक ही कार में साथ आए, मुस्कुराते हुए और एक-दूसरे का हाथ थामे हुए। यह दृश्य यह बताने के लिए काफी था कि भले ही थाकसिन की आधिकारिक भूमिका न हो, लेकिन पार्टी के असली नेता वही माने जाते हैं।

थाईलैंड के लोगों के लिए पैटोंगटार्न का संदेश

नियुक्ति पत्र मिलने के बाद पैटोंगटार्न ने थाई नरेश और सांसदों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि वह अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी और खुले दिमाग से निभाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने वादा किया कि वह थाईलैंड को एक ऐसा देश बनाएंगी, जहां लोग अपने सपनों को साकार कर सकें, नए विचारों को जन्म दें, और अपने भविष्य को खुद तय कर सकें।

पैटोंगटार्न शिनावात्रा का प्रधानमंत्री बनना न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि थाईलैंड की राजनीति में भी एक बड़ा बदलाव है। उनका युवा दृष्टिकोण और परिवार की राजनीतिक विरासत उन्हें इस चुनौतीपूर्ण भूमिका में और भी महत्वपूर्ण बना देता है।

 

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