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दुनिया में सबसे ज्यादा होती है इन जानवरों की तस्करी, जान कर उड़ जाएंगे होश

नई दिल्ली: जानवरों की तस्करी एक गंभीर वैश्विक समस्या है, जो वन्य जीवों के संरक्षण को खतरे में डाल रही है। यह अवैध व्यापार केवल पर्यावरण को ही नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है। ज्यादातर जानवरों की तस्करी मानवों की जरूरतों को पूरा करने के लिए की जाती है। […]

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  • August 16, 2024 11:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: जानवरों की तस्करी एक गंभीर वैश्विक समस्या है, जो वन्य जीवों के संरक्षण को खतरे में डाल रही है। यह अवैध व्यापार केवल पर्यावरण को ही नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है। ज्यादातर जानवरों की तस्करी मानवों की जरूरतों को पूरा करने के लिए की जाती है। आइए जानते हैं कि किस प्रकार के जानवर सबसे ज़्यादा तस्करी का शिकार होते हैं।

ये जानवर होते हैं तस्करी का शिकार

1. हाथी: हाथी की तस्करी का मुख्य कारण उनकी हिंसक दांतों (ivory) की मांग है। एशियाई और अफ्रीकी हाथियों के दांतों को गहनों और सजावटी वस्तुओं के रूप में बेचा जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में हाथी दांतों की तस्करी में 25% की वृद्धि देखी गई।

2. गैंडा: गैंडे की सींगों की तस्करी एक अन्य बड़ी समस्या है। गैंडे की सींगों को पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग के लिए और सजा-सवाज के सामान के रूप में बेचा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले साल गैंडे की तस्करी में 30% की वृद्धि हुई।

3. पेंगुइन: पेंगुइन की तस्करी विशेष रूप से उनकी त्वचा और अंडों के लिए की जाती है। दक्षिण अफ्रीका में, 2023 में पेंगुइन के अंडों की तस्करी के 100 से अधिक मामले सामने आए।

4. बाघ: बाघों की तस्करी उनके खाल और अन्य अंगों के लिए की जाती है, जो पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग किए जाते हैं। भारत, बांग्लादेश, और दक्षिण-पूर्वी एशिया में बाघों की तस्करी एक गंभीर समस्या है। WWF के मुताबिक, इनकी संख्या में भारी कमी आई है और कुछ प्रजातियाँ तो विलुप्ति के कगार पर हैं।

5. कछुआ: कछुओं की तस्करी उनकी अद्वितीय खाल और मांस के लिए की जाती है। समुद्री कछुओं को अक्सर उनके अंगों के लिए शिकार किया जाता है, जो विभिन्न बाजारों में बेचे जाते हैं।

तस्करी पर नियंत्रण

जानवरों की तस्करी का मुख्य कारण उनके अंगों और उत्पादों की उच्च कीमत है। इसके परिणामस्वरूप, कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं और पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन पैदा हो रहा है। सरकारें और वन्य जीव संरक्षण संगठन इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। भारत सरकार ने “वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट” को लागू किया है, और इंटरपोल व वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी तस्करी पर नजर रखने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि कड़े कानून, जागरूकता अभियान, और संरक्षण प्रयास। उदाहरण के लिए, CITES (साइट्स) जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौते जानवरों की तस्करी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं।

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