नई दिल्ली। देश में अक्सर समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठता रहता है। आज स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर एक बार फिर पीएम ने इसका जिक्र किया, जिसके बाद से राजनीतिक गर्मागर्मी शुरू हो गई है। पीएम ने कहा “जो कानून धर्म के आधार पर बांटते हैं, उन्हे दूर करना चाहिए। वर्तमान सिविल कोड […]
नई दिल्ली। देश में अक्सर समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठता रहता है। आज स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर एक बार फिर पीएम ने इसका जिक्र किया, जिसके बाद से राजनीतिक गर्मागर्मी शुरू हो गई है। पीएम ने कहा “जो कानून धर्म के आधार पर बांटते हैं, उन्हे दूर करना चाहिए। वर्तमान सिविल कोड कम्यूनल और भेदभाव करने वाला है। जो कानून धर्म के आधार पर बांटते हैं। ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं। उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता। अब देश की मांग है कि देश में सेकुलर सिविल कोड लागू हो।
ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि सेकुलर सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता है क्या और इसके लागू होने पर भारतीय अल्पसंख्यकों के जीवन में क्या बदलाव होगा? हम आपको इसकी पूरी जानकारी देंगे।
समान नागरिक संहिता का मतलब है सभी धर्मों के लिए एक समान कानून। अभी सभी धर्मों में शादी, तलाक, गोद लेने, विरासत, संपत्ति से जुड़े मामलों के लिए अलग-अलग कानून हैं। अगर समान नागरिक संहिता आती है तो सभी के लिए एक कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म या जाति से संबध रखते हों। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई फैसलों में समान नागरिक संहिता की जरूरत बताई है। हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध धर्म के निजी मामले हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी धर्म के अलग-अलग निजी कानून हैं।