नई दिल्ली: इंग्लैंड के पिट्सी में एसेक्स केएफसी में काम करने वाली 32 वर्षीय एम्मा प्राइस एक साल तक कोमा में रहने के बाद होश में आईं। एम्मा एक साल पहले अत्यधिक दर्द निवारक दवा खाने के बाद कोमा में चली गई थीं। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि दर्द निवारक दवा के सेवन से […]
नई दिल्ली: इंग्लैंड के पिट्सी में एसेक्स केएफसी में काम करने वाली 32 वर्षीय एम्मा प्राइस एक साल तक कोमा में रहने के बाद होश में आईं। एम्मा एक साल पहले अत्यधिक दर्द निवारक दवा खाने के बाद कोमा में चली गई थीं। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि दर्द निवारक दवा के सेवन से उनके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा था, जिसके कारण वह कोमा में चली गई थीं। एम्मा की हालत को देखते हुए उनके परिवार वाले बेसिलडन से पिट्सी आए और उनका इलाज करवाया। हालांकि, किसी को नहीं पता था कि एम्मा ने अत्यधिक दर्द निवारक दवा क्यों खाई थी।
महीनों तक इंतजार करने के बाद जब एम्मा को होश नहीं आया तो उसके परिवार ने उसकी हालत में कोई खास सुधार न होने पर उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाने का फैसला किया। यह फैसला लेने के कुछ देर बाद ही स्वास्थ्यकर्मियों को हैरानी हुई जब एम्मा को होश आ गया। एम्मा का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि वह अपने परिवार को पहचानने लगी है। होश में आने के बाद एम्मा ने बताया कि उसे केएफसी में धमकियां मिली थीं। खबर सामने आने के बाद केएफसी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
एम्मा आठ साल से केएफसी में काम कर रही थीं। एम्मा ने पहले अपने परिवार से शिकायत की थी कि जब अन्य कर्मचारी काम नहीं करते हैं तो उन्हें ओवरटाइम करना पड़ता है। परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि काम के बोझ के कारण एम्मा अक्सर काम से रोते हुए घर आती थीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एम्मा के परिवार ने घटना से पहले ही केएफसी प्रबंधन से इस बारे में शिकायत की थी। परिवार ने आरोप लगाया कि इतना सब होने के बाद भी केएफसी ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे मामला और बिगड़ गया। एम्मा का मामला मीडिया में आने के बाद केएफसी ने कहा कि हम इस मुश्किल घड़ी में एम्मा और उनके परिवार के साथ हैं। एक व्यवसाय के रूप में, हम सभी टीम के सदस्यों के लिए एक सुरक्षित और सहायक कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इन आरोपों को बहुत गंभीरता से लेते हैं और मामले की तत्काल जांच शुरू कर दी है।