बांग्लादेश में हाल ही में सेना ने तख्तापलट कर दिया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। अब बांग्लादेश की सत्ता
Bangladesh Army Rule: बांग्लादेश में हाल ही में सेना ने तख्तापलट कर दिया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। अब बांग्लादेश की सत्ता आर्मी चीफ जनरल वकार-उज़-ज़मान के हाथों में आ गई है। इस घटना से भारत के लिए चिंता बढ़ गई है। आइए जानते हैं कि अगर भविष्य में भारत और बांग्लादेश के बीच संघर्ष होता है तो किसकी सेना भारी पड़ेगी।
बांग्लादेश की सेना दक्षिण एशिया में भारत और पाकिस्तान के बाद तीसरी सबसे बड़ी सेना है। एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की सेना 145 ताकतवर सेनाओं वाले देशों की लिस्ट में 37वें नंबर पर आती है। बांग्लादेश की सेना में 1,75,000 सक्रिय सैनिक हैं। इसके अलावा उनके पास 281 टैंक, 13,100 बख्तरबंद गाड़ियां, 20 स्व-चलित तोपखाने, 370 टो आर्टिलरी और 70 रॉकेट हैं। बांग्लादेश अपनी सेना पर हर साल 3.8 बिलियन डॉलर खर्च करता है।
इस वक्त बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज़-ज़मान हैं। उन्होंने 23 जून 2024 को अपना पद संभाला था। शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट भी जनरल वकार-उज़-ज़मान ने ही किया है। इस समय बांग्लादेश के सबसे ताकतवर व्यक्ति वही हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सेना दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है। भारत से ऊपर केवल अमेरिका, रूस और चीन की सेना हैं। भारत के पास कुल सैन्य कर्मी 51.37 लाख हैं, जिनमें 14.55 लाख सक्रिय सैन्य कर्मी, 25.7 लाख पैरामिलिट्री और 11.55 लाख रिजर्व पर्सनल शामिल हैं।
भारत की वायुसेना में 3.10 लाख, नौसेना में 1.42 लाख सैनिक और थल सेना में 21.97 लाख हैं। भारत के पास 606 फाइटर्स जेट, 130 अटैक फाइटर जेट, 264 ट्रांसपोर्ट विमान, 351 ट्रेनर्स, 70 स्पेशल मिशन एयरक्राफ्ट, 6 टैंकर्स फ्लीट, 869 हेलिकॉप्टर्स और 40 अटैक हेलिकॉप्टर्स हैं। थल सेना के पास 4614 टैंक्स, 140 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी, 3243 टोड आर्टिलरी और 702 एमएलआरएस रॉकेट आर्टिलरी हैं। भारतीय नौसेना के पास 12 डिस्ट्रॉयर्स, 12 फ्रिगेट, 18 कॉर्वेट, 18 पनडुब्बियां और 137 पेट्रोल वेसल हैं।
भारत की सेना बांग्लादेश की सेना से कहीं ज्यादा ताकतवर है। अगर भविष्य में कभी भारत और बांग्लादेश के बीच संघर्ष होता है, तो भारतीय सेना की ताकत और संसाधनों के आधार पर वह भारी पड़ेगी। हालांकि, दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग बनाए रखना सबसे बेहतर विकल्प होगा।
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