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हर साल ‘टापू’ क्यों बन जाता है ITO, जानें दिल्ली के पुराने ड्रेनेज सिस्टम की हकीकत

दिल्ली-NCR में उमस से परेशान लोग बुधवार की तेज बारिश के बाद राहत के बजाय आफत में घिर गए। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पानी भर गया

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ITO become island every year reality of Delhi old drainage system
  • August 3, 2024 7:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

Delhi Drainage System: दिल्ली-NCR में उमस से परेशान लोग बुधवार की तेज बारिश के बाद राहत के बजाय आफत में घिर गए। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पानी भर गया और मौसम विभाग के अनुसार, कुछ इलाकों में एक घंटे में ही 100 मिमी से ज्यादा बारिश हुई। गाजीपुर में पानी भरने से एक महिला और उसके तीन साल के बच्चे की मौत हो गई। यहां तक कि संसद भवन में भी पानी भरने के वीडियो सामने आए। यह समस्या हर साल होती है, जिससे सवाल उठता है कि आखिर दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम कितना पुराना है और क्यों हर बारिश में दिल्ली टापू में बदल जाती है?

कितना पुराना है दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम?

दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम दशकों पुराना है और इसे आखिरी बार 1976 में अपडेट किया गया था। उस समय शहर की आबादी 40 लाख थी, लेकिन अब यह संख्या 3 करोड़ के पार हो चुकी है। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम 24 घंटे में 50 मिमी बारिश को ही संभाल सकता है, जबकि एक घंटे में 100 मिमी बारिश होने पर यह प्रणाली फेल हो जाती है।

तेजी से होता शहरीकरण और बढ़ती आबादी

दिल्ली में हर साल बारिश के बाद बाढ़ की समस्या का एक बड़ा कारण तेजी से होता शहरीकरण और बढ़ती आबादी है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक दिल्ली दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर बन जाएगा। ऐसे में दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को अपडेट करने और शहर के पानी की निकासी के लिए बेहतर प्लानिंग की आवश्यकता है।

जरूरत है बेहतर प्लानिंग की

दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को मौजूदा आबादी और बारिश के पैटर्न के अनुसार अपडेट करने की जरूरत है। इसके अलावा, बारिश के पानी को जमीन में पहुंचाने के लिए बेहतर प्लानिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता है ताकि भविष्य में बारिश के दौरान बाढ़ जैसी स्थिति से बचा जा सके।

 

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