क्या है गोवा का सनबर्न फेस्टिवल और क्यों हो रहा है इसका विरोध, जानिए वजह

नई दिल्ली: गोवा में सालाना आयोजित होने वाला सनबर्न फेस्टिवल इस बार विवादों में घिर गया है। स्थानीय निवासी और पर्यावरण समर्थक इस महोत्सव के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध का कारण फेस्टिवल के आयोजन से जुड़े विभिन्न मुद्दे हैं, जिनका समाज और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जानकारी […]

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क्या है गोवा का सनबर्न फेस्टिवल और क्यों हो रहा है इसका विरोध, जानिए वजह

Shweta Rajput

  • August 1, 2024 1:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: गोवा में सालाना आयोजित होने वाला सनबर्न फेस्टिवल इस बार विवादों में घिर गया है। स्थानीय निवासी और पर्यावरण समर्थक इस महोत्सव के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध का कारण फेस्टिवल के आयोजन से जुड़े विभिन्न मुद्दे हैं, जिनका समाज और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक दक्षिण गोवा में इस साल 28 से 30 दिसंबर तक सनबर्न फेस्टिवल का आयोजन निर्धारित हुआ है।

सनबर्न फेस्टिवल का परिचय

सनबर्न फेस्टिवल भारत का एक प्रमुख संगीत महोत्सव है, जो हर साल गोवा में आयोजित होता है। यह फेस्टिवल मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक डांस म्यूजिक फेस्टिवल है जो (EDM) पर केंद्रित होता है और इसमें दुनिया भर के प्रसिद्ध DJs और संगीतकार भाग लेते हैं। यह आयोजन अपने भव्य और रंगीन माहौल के लिए जाना जाता है और इसकी तिथि आमतौर पर दिसंबर के अंत में होती है।

स्थानीय विरोध के कारण

1. पर्यावरणीय प्रभाव: स्थानीय लोगों का कहना है कि सनबर्न फेस्टिवल के आयोजन से समुद्र तटों और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फेस्टिवल के दौरान भारी संख्या में आगंतुकों की वजह से कचरा, प्लास्टिक, और अन्य प्रदूषक पदार्थ समुद्र तटों पर जमा हो जाते हैं, जो समुद्री जीवन और स्थानीय वनस्पतियों के लिए हानिकारक होते हैं। फेस्टिवल के दौरान भारी भीड़ और शराब की खपत की वजह से सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी बढ़ जाती हैं। कई लोग फेस्टिवल के दौरान समुद्र तटों और अन्य प्राकृतिक स्थलों पर होने वाली गंदगी और कचरे की समस्या को लेकर चिंतित हैं।

2. आवास और यातायात की समस्याएं: फेस्टिवल के चलते गोवा में आवास और यातायात की स्थिति बिगड़ जाती है। स्थानीय निवासियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि फेस्टिवल के दौरान पर्यटकों की भीड़ से सड़कें जाम हो जाती हैं और होटल बुकिंग की कीमतें आसमान छू जाती हैं। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस फेस्टिवल के खिलाफ कई मुद्दों को उठाया है। उनका कहना है कि फेस्टिवल के दौरान होने वाले भारी शोर और भीड़भाड़ से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

3. सामाजिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था: स्थानीय लोगों का कहना है कि फेस्टिवल के दौरान सामाजिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। शराब और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन के कारण सार्वजनिक स्थानों पर अशांति और हिंसा की घटनाएं बढ़ जाती हैं। स्थानीय निवासी और व्यवसायी मानते है कि इस फेस्टिवल के कारण उनकी सामान्य जिंदगी प्रभावित होती है, जैसे कि ट्रैफिक जाम, सुरक्षा चिंताओं और स्थानीय व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ।

स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया

नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने स्थानीय समुदाय और पर्यावरण कार्यकर्ता सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे फेस्टिवल के आयोजन के दौरान पर्यावरणीय और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों को गंभीरता से लें। सावंत ने गोवा के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देते हुए संगीत समारोह के महत्व पर जोर दिया। उनका कहना है कि गोवा का प्रसिद्ध सनबर्न फेस्टिवल, कार्निवल, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई), शिगमोत्सव, और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्पल फेस्टिवल ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जिन्होंने गोवा को वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्र पर जगह दिलाई है। उन्होंने आगे कहा कि 2023-24 में 88.46 लाख पर्यटकों को गोवा ने आकर्षित किया है। इसके अलावा इसमें 4.14 लाख अंतरराष्ट्रीय आगंतुक शामिल थे। ये प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में राज्य की स्थिति को रेखांकित करता है।

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