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World Lung Cancer Day: क्या महामारी कोविड के बाद बढ़ गए लंग कैंसर के मामले?

कोविड से ठीक होने के बाद भी कई लोग स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, खासकर फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं का।

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World Lung Cancer Day: क्या महामारी कोविड के बाद बढ़ गए लंग कैंसर के मामले?
  • July 31, 2024 5:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

Covid-19: कोविड से ठीक होने के बाद भी कई लोग स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं, खासकर फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं का। वेल्लोर के ‘क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज’ की रिसर्च के मुताबिक, कोविड से ठीक होने के बाद भी लोगों के फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ा है। लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले हैं।

भारत में खास रिसर्च

भारत में कोविड के कारण फेफड़ों पर होने वाले असर पर एक बड़ा रिसर्च किया गया है। इस रिसर्च में 207 लोगों को शामिल किया गया, जिसमें देखा गया कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लंग्स का फंक्शन सही से काम कर रहा है या नहीं। फेफड़ों में इंफेक्शन और लंग्स कैंसर का खतरा कितना बढ़ा है।

रिसर्च के नतीजे

रिसर्च में पाया गया कि SARS-CoV-2 के कारण लंग्स के फंक्शन पर बुरा असर हुआ है। यह स्टडी PLOS ग्लोबल पब्लिक हेल्थ जर्नल में पब्लिश हुई है। रिसर्च में शामिल लोगों के लंग फंक्शन टेस्ट, छह मिनट का चलने का परीक्षण, ब्लड टेस्ट और लाइफस्टाइल का लेखा-जोखा रखा गया है। सेंसिटिव लंग फंक्शन टेस्ट (DLCO) में 44% तक कमी पाई गई। 35% लोगों में रेस्ट्रिक्टिव लंग डिफेक्ट देखा गया है, जिससे सांस लेने में और फेफड़ों में हवा फुलाने में मुश्किल हो रही है।

भारतीयों पर ज्यादा असर क्यों?

सीएमसी, वेल्लोर के प्रोफेसर डॉ. डीजे क्रिस्टोफर ने बताया कि भारतीय मरीजों की हालत दूसरे देशों के मरीजों के मुकाबले काफी खराब है। भारतीयों में डायबिटीज और बीपी की परेशानी ज्यादा है, जिससे फेफड़ों पर ज्यादा असर पड़ा है।

नानावटी अस्पताल के डॉ. सलिल बेंद्रे ने बताया कि गंभीर स्थिति में भर्ती होने के बाद ऑक्सीजन सपोर्ट और स्टेरॉयड ट्रीटमेंट से मरीज ठीक हो जाते हैं। लेकिन इंफेक्शन बढ़ने पर फेफड़े 95% तक नुकसान झेलते हैं।

कोरोना के बाद फेफड़ों के इंफेक्शन

कोविड के बाद लंग कैंसर के मामले तो नहीं बढ़े हैं, लेकिन लंग्स की बीमारियों के आंकड़े बढ़े हैं। कोरोना से ठीक होने के बाद लंग्स फाइब्रोसिस देखा गया है, जिसमें सांस फूलना और कमजोरी जैसे लक्षण होते हैं। जिन मरीजों को बचपन में एलर्जी और अस्थमा था, उनका हालत कोरोना के बाद बिगड़ गई है और इन्हेलर की जरूरत पड़ रही है।

 

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