बजरंगबली का नाम हनुमान कैसे पड़ा?

बाल्यावस्था में एक बार माता अंजनि बजरंगबली को सुलाकर अन्य कामों में व्यस्त हो गईं कुछ देर बाद जब बाल हनुमान की आंख खुली तो उन्हें भूख लगी।  

उन्होंने आकाश में सूर्य को देखा और फल समझकर खाने के लिए बढ़े। ठीक उसी समय सूर्य ग्रहण का भी समय हो रहा था।  

सूर्य को ग्रसने के लिए राहु भी समीप आ रहा था, राहु को देखकर बाल हनुमान ने सोचा कि ये मेरा फल छीनना चाहता है इसलिए उन्होंने उसे वहां से भगा दिया।  

भयभीत राहु इंद्र के दरबार में पहुंचे और उनसे विनती की कि संसार के नियम के अनुसार मैं ग्रहण काल में सूर्य को ग्रसित करने जा रहा था लेकिन एक वानर बालक ने रोक दिया। 

यह सुनकर इंद्र कुपित हो गए और सूर्यलोक पहुंचे।उन्होंने बिना सोचे समझे बालक हनुमान पर वज्र का भीषण प्रहार किया।  

वज्र के प्रहार से हनुमान मूर्छित होकर पृथ्वी पर आ गिरे और उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई। पवन देवता इससे क्रोधित हो गये और उन्होंने संसार में वायु के प्रवाह को रोक दिया।  

इससे संसार में हड़कंप मच गया। सभी देवी देवता पवनदेव को मनाने पहुंचे। उन्होंने बाल हनुमान को पहले जैसा कर दिया और बहुत सारे वरदान भी दिए।  

हनुमान वरदान पाकर और भी ज्यादा शक्तिशाली हो गए। वज्र के चोट से उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई जिसके कारण उनका नाम हनुमान और बजरंगबली पड़ा।